कर्मचारियों को मिला मंच व नेतृत्व, सब मिलजुल कर चलें
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि कर्मचारियों को अब अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष के तौर पर मंच और नेतृत्व दोनों मिल गए हैं। सभी कर्मचारी और इनका अलग- अलग नेतृत्व करने वाले अब मिलजुलकर चलें। सरकार हर संभव सहयोग करेगी।
शिमला, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि कर्मचारियों को अब अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष के तौर पर मंच और नेतृत्व दोनों मिल गए हैं। सभी कर्मचारी और इनका अलग- अलग नेतृत्व करने वाले अब मिलजुलकर चलें। सरकार हर संभव सहयोग करेगी।
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की टीम ने शिमला में बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने महासंघ के मुखिया अश्वनी ठाकुर की पीठ भी थपथपाई। और कहा कि महासंघ सभी श्रेणियों के नेतृत्व से बात करें व आपस में चर्चा करें। उन्होंने कहा कि कोविड के बावजूद कर्मचारियों ने सहयोग किया। उनके हितों से जुड़े मसले चाहे हल हुए या नहीं फिर भी वे चट्टान की तरह सरकार के साथ खड़े रहे। अब सरकार कर्मचारियों का हित सुनिश्चित करेगी।
कर्मचारियों की मांगे होगी पूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के कर्मचारियों के कल्याण के लिए हर संभव कार्य कर रही है। कर्मचारियों की उचित मांगों को समय-समय पर पूरा किया है और करेंगे। कोरोना महामारी के बावजूद सरकार ने सुनिश्चित किया है कि कर्मचारियों को देय भत्ते समय-समय पर मिलते रहें।
जल्द होगी जेसीसी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही जेसीसी बैठक आयोजित करेगी, ताकि कर्मचारियों को सरकार के साथ मुद्दे उठाने का अवसर मिल सके। उन्होंने महासंघ को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार कर्मचारियों के उचित मुद्दों का निवारण करने का प्रयास करेगी।
अश्वनी बोले, करेंगे सरकार का सहयोग
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि उन्हें पूरा सहयोग किया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से जेसीसी की बैठक को बुलाने का भी आग्रह किया। सरकार के साथ कर्मचारियों की मांगों को उठाएंगे। महासंघ के महासचिव राजेश शर्मा ने भी मुख्यमंत्री का आभार जताया।
सबको साथ चलाना चुनौती, डेढ़ वर्ष से कम कार्यकाल
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर को राज्य सरकार से तो मान्यता मिल गई है, लेकिन कर्मचारियों की उम्मीदों के शिखर पर खरा उतरने की बड़ी चुनौती रहेगी। कर्मचारियों के सभी धड़ों, नेताओं को एक साथ चलाना आसान नहीं होगा। पौने तीन लाख कर्मचारियों के हकों को दिलाना, इनके लंबित मुद्दों को अंजाम तक पहुंचाना मुश्किल कार्य है। कोरोना संकट, सरकार के सीमित हो रहे आर्थिक संसाधनों बड़े मसलों के समाधान के रास्ते में रोड़े बन कर खड़े होंगे। महासंघ का कार्यकाल डेढ़ वर्ष भी नहीं है। इस छोटे से कार्यकाल में संयुक्त सलाहकार समिति की दो बैठकें हो सकती है।
मुख्यमंत्री की पसंद रहे हैं अश्वनी अश्वनी ठाकुर मुख्यमंत्री की पहले से ही पसंद रहे हैं। शुरूआत में महासंघ की गुटबाजी और बाद में कोविड संकट के चलते इन्हें मान्यता नहीं मिल पाई। अब अगर संगठन की पूरी साख भी दांव पर रहेगी। सफल हुए तो सरकार की छवि भी निखरेगी, असफल होने की सूरत में संगठन के नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह लगेंगे।
ओक ओवर तक किया शक्ति प्रदर्शन
महासंघ से जुड़े कर्मचारियों ने शिमला में शक्ति प्रदर्शन किया। पहले कर्मचारी राज्य सचिवालय के पास एकत्र हुए, वहां से दोपहर के वक्त जुलूस की शक्ल में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर पहुंचे। वहां मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को संबोधित किया।
अलग- थलग पड़ा विनोद गुट
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का विनोद गुट अब अलग- अलग पड़ गया है। इस गुट के अध्यक्ष विनोद कुमार नौकरशाही पर तीखा प्रहार करने के लिए जाने जाते हैं। पहले वह कर्मचारी परिसंघ में थे। कुछ समय पहले उन्होंने परिसंघ से छिटककर महासंघ में एंट्री की थी। उन्होंने अश्वनी, एनआर ठाकुर के समानांतर संगठन खड़ा किया था। एनआर ठाकुर गुट भी अब हाशिये पर चला गया है। एनआर ठाकुर महासंघ के पहले भी नेता रहे हैं। लेकिन मौजूदा सरकार ने उन्हें मान्यता नहीं दी। इस कारण विभागीय संगठनों पर भी मान्यता प्राप्त महासंघ का ही कब्जा होगा। हालांकि विनोद कुमार का कहना है कि उनका संगठन ही संवैधानिक और असली महासंघ है। एनआर ठाकुर भी यही दावा करते हैं कि कर्मचारियों का बहुमत उनके साथ हैं।