टांडा अस्पताल प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम
टांडा अस्पताल में नर्स की मौत के मामले में अब टांडा के कर्मचारियों ने अस्पताल प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।
जेएनएन, टांडा। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा के कर्मचारियों ने अस्पताल प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर मंगलवार 11 बजे तक नर्स रोजी ठाकुर के उपचार में कोताही बरतने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। नर्स की मौत के विरोध में कर्मचारियों ने सोमवार को अस्पताल परिसर में धरना दिया। इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप लगाते हुए कॉलेज एवं अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की।
कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य विभाग के सचिव सहित टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन को मामले में उचित जाच के लिए ज्ञापन भी सौंपा। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एसएस राणा, नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष बृजबाला, मिनिस्ट्रियल स्टाफ के रमेश पंजवाल, फार्मासिस्ट एसोसिएशन व एनपीएस एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि झुलसी स्टाफ नर्स के उपचार में कोताही बरती गई है और इस कारण ही उसकी मौत हुई है।
उनका कहना था कि जब रोजी ठाकुर को भर्ती करवाया गया था तो चिकित्सकों का कहना था कि 40 फीसद तक झुलसी है। फिर भी 10 दिन में उन्हें बचा नहीं सके। आरोप लगाया कि रोजी ठाकुर की हालत नाजुक होने के दौरान चिकित्सकों को बुलाया गया, लेकिन दो घटे तक कोई नहीं आया।
यह चाहते हैं कर्मचारी
मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में शनिवार को ड्यूटी पर तैनात तथा ऑनकॉल डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की माग की है। रोजी के परिवार को प्रदेश सरकार व टीएमसी प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता दी जाए। परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। टांडा में तैनात तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को बीमारी के दौरान अस्पताल में भर्ती होने पर बेहतर इलाज की सुविधा दी जाए। उनका उपचार कंसलटेंट की निगरानी में हो।
स्टाफ की परवाह न करने वाले प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहिए कर्मचारियों ने कहा कि रोजी ठाकुर 10 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहीं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को बर्न यूनिट में आकर उनका हाल पूछने का समय नहीं मिला। आरोप लगाया कि कुछ समय से नर्सो समेत अन्य तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को तंग किया जा रहा है। कर्मचारी अगर हक के लिए आवाज उठाते हैं तो उन्हें तबादले की धमकी दी जाती है। उनका कहना था कि ऐसे प्रशासनिक अधिकारी नहीं चाहिए जिन्हें स्टाफ की भी चिंता नहीं है।
'नर्स रोजी ठाकुर के मामले में जांच की जा रही है। इस संबंध में अगर किसी की भी लापरवाही पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।' -डॉ. गुरदर्शन गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक टांडा मेडिकल कॉलेज