सुरक्षा मानकों की कमी के कारण बिजली बोर्ड के 10 कर्मियों की गई जान, अब संघ ने उठाया यह कदम
राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ ने बोर्ड के प्रबंध निदेशक को तुरंत हटाने की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
शिमला, जेएनएन। राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ ने बोर्ड के प्रबंध निदेशक को तुरंत हटाने की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। शिमला में पत्रकारों से बातचीत में बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरबाड़ा व अन्य पदाधिकारियों ने बोर्ड प्रबंधन व एमडी पर वित्तीय नुकसान के आरोप लगाए। प्रदेश सरकार एमडी बिजली बोर्ड को जल्द नहीं हटाया तो बोर्ड के 10 हजार कर्मचारी 22 अक्टूबर से धरना और हड़ताल पर चले जाएंगे। कर्मचारियों के साथ विद्युत दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। सुरक्षा मानकों की कमी के कारण मौत का आंकड़ा बढ़ा है। दो साल में बोर्ड के 10 से ज्यादा कर्मचारियों की काम करते हुए दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है।
कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि तबादला कारोबार में दलाल लगे हैं और कर्मचारियों को मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में जाने से रोकने और कर्मचारियों को धमकाने का काम कर रहे हैं। 10 साल में चार हजार नए कर्मचारी भर्ती हुए थे, लेकिन इनके लिए किसी भी तरह का भर्ती एवं नियमतिकरण व पदोन्नति नियम नहीं बनाए गए। कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। संघ ने 2003 के बाद बोर्ड कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की करने की मांग की है। संघ ने सरकार से मांग की है कर्मचारियों की लंबित मांगों को जल्द पूरा किया जाए।
मुख्य मांगें
-बिजली बोर्ड का निजीकरण बंद कर, विभिन्न श्रेणियों के निम्न स्तर के पदों को निर्धारित मापदंडों के आधार पर रिक्त पड़े 7000 पद भरे जाएं।
-जूनियर टी-मेट, हेल्पर, कार्यालय सहायक, आइटी व लेखा कर्मियों को उनके मूल पदों जेसे टी-मेट, हेल्पर, क्लर्क, अकाउंटेंट के वेतन भत्ते दिए जाएं।
-48 श्रेणियों के कम किए गए वेतनमानों और समाप्त किए गए अतिरिक्त सचिव के पद व गिफ्ट चेक की अदायगी को बहाल किया जाए।
-बिजली बोर्ड में मानव रहित व नवनिर्मित विद्युत उपकेंद्रों में अनुमानित 550 पदों का सृजन किया जाए।
-सहायक लेखा अधिकारी के 20 फीसद पद अधीक्षक लेखा से वरिष्ठता आधार पर भरे जाएं।
-जेई व अन्य पदों के लिए पदोन्नति के लिए सेवाकाल 5-7 वर्ष तक किया जाए।
-दुर्भावना से किए गए कर्मचारियों के तबादलों को रद किया जाए।