संवाद सहयोगी, पालमपुर : प्रदेश कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने हाईकोर्ट की एलपीए 54 को दरकिनार कर नियमों में फेरबदल करके मंत्री की पत्नी को लाभ देने का कड़ा संज्ञान लिया है। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा, प्रदेश महासचिव अरुण काननूगो, प्रदेश महिला विग अध्यक्ष रीता डोगरा, सुषमा, अंजु शर्मा, मोर्चा फाउंडर डा. अरुण दत्त, पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा प्रभारी एलडी चौहान, प्रदेश महासचिव राजिद्र स्वदेशी, अतिरिक्त सचिव प्रवीण मेहता, पेंशन बहाली मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर शर्मा, उपाध्यक्ष कुलदीप चंद, वरिष्ठ सलाहकार अशोक राजपूत, सह सचिव सुरिंद्र पटियाल, शिमला अध्यक्ष अमृत नेगी, अध्यापक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष छामछु सुब्बा, रिटायर्ड पैरामिल्ट्रिी, सेवानिवृत्त एसोसिएशन के प्रमुख प्रवक्ता मनवीर कटोच, शैलेंद्र सूद, दिनेश पठानिया, भरत भूषण, चंबा अध्यक्ष गुड्डू राम, किन्नौर के अध्यक्ष जगमोहन आदि ने संयुक्त बयान में कहा कि जनप्रतिनिधि अपने रिश्तेदारों के लिए कानून बदल देते हैं, लेकिन जो उनके रिश्तेदार नही हैं, उनके हकों को भी नए कानून बनाकर छीन लेते हैं। यह कैसा संविधान है कि लोकतंत्र में जिसके हाथ पावर है वह कुछ भी कर सकता है।
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी संघर्ष मोर्चा व पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा अपने लाभ के लिए नियमों में फेरबदल करने वालों के विरूद्ध आवाज उठाएगा। उन्होंने कहा कि 2008 में पुराने आरएंडपी रूल होने पर भी पीड़ितों को हाईकोर्ट ने एलपीए 54 के तहत फैसला सुनाया था, लेकिन उक्त 1500 लोग आज भी हाईकोर्ट के फैसले की दुहाई देकर सरकार से अन्याय की भरपाई का इंतजार कर
रहे हैं। पेंशन बहाली व संघर्ष मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि जहां कोर्ट और संविधान की अनदेखी होती है, वहां संविधान दिवस मनाने का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। उन्होंने दोहराया कि हमें पुरानी पेंशन चाहिए, अपनी पेंशन का निजीकरण नहीं।
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