Move to Jagran APP

Video : हमीरपुर के डा. राजेंद्र कंवर ने सरकार को दान की 10 करोड़ से भी अधिक की संपत्ति, बताई यह वजह

Rajendra Kanwar Property Donation समाज में दुखी व गरीब की सहायता करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है। माता-पिता सहित पत्नी की आखिरी इच्छा भी मैंने पूरी की है। यह कहना है हमीरपुर जिले के नादौन के गांव धनेटा के रहने वाले सेवानिवृत्त सीनियर मेडिकल आफिसर डा. राजेंद्र कंवर का।

By Virender KumarEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 04:39 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 09:33 PM (IST)
Video : हमीरपुर के डा. राजेंद्र कंवर ने सरकार को दान की 10 करोड़ से भी अधिक की संपत्ति, बताई यह वजह
हमीरपुर के धनेटा के डा. राजेंद्र कंवर ने दान कर दी कोरोड़ों की संपत्ति। जागरण

हमीरपुर, जागरण संवाददाता। Rajendra Kanwar Property Donation, समाज में दुखी व गरीब की सहायता करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है। माता-पिता सहित पत्नी की आखिरी इच्छा भी मैंने पूरी की है। यह कहना है हमीरपुर जिले के नादौन उपमंडल के गांव धनेटा के रहने वाले सेवानिवृत्त सीनियर मेडिकल आफिसर एपीएचएन-1 डा. राजेंद्र कंवर का। उन्होंने अपने जीवन पूरी चल-अचल संपत्ति की बसीयत 23 जुलाई, 2021 को तहसीलदार हमीरपुर के समक्ष करवाकर इसे सरकार के लिए दान कर दिया है।

loksabha election banner

यही नहीं, डा. कंवर ने अपना अंगदान करने का भी फैसला लिया है। पंचायत जोलसप्पड़ के गांव सनकर के 72 वर्षीय डा. राजेंद्र कंवर के नाम 10 करोड़ से भी अधिक की संपत्ति है जिसे सरकार के नाम कर दिया है। 33 वर्ष स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने के बाद भी दुखी, गरीब मरीजों का मुफ्त उपचार अपनी ओपीडी में कर रहे हैं।

कहते हैं कि कोरोना काल में लगी बदिशों के चलते मुझे संपत्ति सरकार के नाम करने में देरी हो गई, लेकिन मेरा लक्ष्य यही था कि अपना सब कुछ इससे पहले सरकार के नाम दर्ज करवा देता। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में भी कोरोना की एसओपी के तहत अंगदान करने के लिए दिक्कत उठानी पड़ रही हैं लेकिन मैं इसे भी पूरा कर लूंगा। उनकी इच्छा है कि उनके दो मंजिला मकान को वृद्ध आश्रम के लिए प्रयोग में लाया जाए जिसका नाम कृष्णा- राजेंद्र ओल्ड एज होम रखा जाए। उनकी चल-अचल संपत्ति सीनियर सिटीजन व दुखी और गरीब लोगों के उपयोग में लाई जाए।

यह हैं डा. राजेंद्र कंवर

डा. राजेंद्र कंवर का जन्म 15 अक्टूबर, 1952 को हमीरपुर जिला के धनेटा गांव में माता गुलाब देवी और पिता डा. अमर सिंह के घर में हुआ। अपनी शिक्षा पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1974 में एमबीबीएम की पढ़ाई इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला में पूरी की है। तीन जनवरी, 1977 को सामुदायिक अस्पताल भोरंज में डाक्टर के पद सेवाएं शुरू की। 31 अक्टूबर 2010 को स्वास्थ्य विभाग से सीनियर मेडिकल आफिसर एपीएचएन वन के पद से सेवानिवृत्त हो गए। इनका अधिकांश नाता नादौन उपमंडल के गांवों की जनता से रहा है और वहां भी उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र गरीब व दुखी लोगों की काफी मदद की। डा. राजेंद्र कंवर की पत्नी कृष्णा कंवर शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुई थी और एक वर्ष पहले उनका निधन हो चुका है। इनकी पत्नी भी स्वभाव से समाजसेवा के प्रति कृतसंकल्प थी और गरीब व दुखी लोगों की सेवा में जुटी रहती थी।

यह संपत्ति की सरकार के नाम

डा. राजेंद्र कंवर ने दो करोड़ का दो मंजिल मकान, चार कनाल जमीन (जमीन की कीमत करोड़ों में ) 15 लाख की क्रेटा गाड़ी, पत्नी कृष्णा कंवर के गहने जिसमें सोना, चांदी के गहने लाकर बंद रखे हैं। नौकरी के दौरान मिली लाखों रुपये की राशि व उनकी की गई एफडी बैंकों में जमा है।

मेरा लक्ष्य दुखी व गरीब लोगों की सहायता करना

उनका कहना है, मेरे जीव लक्ष्य एक ही है कि मैं जब तक जिंदा हूं तब तक समाज के दुखी व गरीब व्यक्ति के काम आ सकूं। मेरे माता व पिता सहित पत्नी भी इसी तर्ज पर समाज में बहुत दुखी लोगों की सेवा करना ही अपना बड़ा धर्म मानते थे। आज भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमार लोगों को ओपीडी में नि:शुल्क भाव से देख-रेख करता हूं। कोरोना महामारी ने आम आदमी को दुखी कर दिया है, लेकिन हर समाज के नागरिक हर नियम का पालन करते हुए इससे पार पाना है। तन-मन-धन से समाज के लिए समर्पित हैं। सर्वस्व न्योछावर है मां भारती तेरे चरणों में।

डाक्टर के पिता डाक्टर अमर सिंह ने रंगून में की थी डाक्टरी की पढ़ाई

धनेटा, संवाद सहयोगी। धनेटा के सपूत डाक्टर राजेंद्र कंवर की दरियादिली के हर जगह चर्चे हो रहे हैैं। अपनी करोड़ों की संपत्ति वृद्धाश्रम के लिए प्रदेश सरकार को दान करने वाले डाक्टर राजेंद्र कंवर का बचपन धनेटा की गलियों में ही बीता है। डाक्टर राजेंद्र के जुड़वां भाई भी भोटा स्थित राधास्‍वामी सत्संग ब्यास में बच्‍चों के विशेषज्ञ के तौर पर सेवाएं दे रहे हैैं। डाक्टर कंवर के पिता डाक्टर अमर सिंह, धनेटा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 1974 में सेवानिवृत्त हुए। उसके बाद 2005 तक धनेटा में अपना निजी क्लीनिक चलाया। 2005 में इनका निधन हो गया था। डाक्टर की पढ़ाई रंगून में की थी। संयोग की बात है कि जिस साल उनके पिता सेवानिवृत्त हुए थे उसी वर्ष उन्होंने डाक्टरी की पढ़ाई आइजीएमसी शिमला से पूरी की थी। धनेटा में डाक्टर कंवर का पैतृक निवास है, इसी निवास में उनका जन्म हुआ था।

डाक्टर राजेंद्र कंवर के छह भाई और चार बहने हैं। इनके दो भाई प्रोफेसर, एक भाई टैक्सी ड्राइवर, एक भाई एडवोकेट, और दो जुड़वा भाई हैं और दोनों ही डाक्टर हैं। रंगस के साथ सटे जोलसप्पड़ कस्बे में सेवानिवृत्ति के बाद से लगातार डाक्टर कंवर लोगों की सेवाएं कर रहे हैैं। सैकड़ों लोग प्रतिदिन यहां स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आते हैैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.