धर्मशाला में जातपात से ऊपर उठकर बरसे वोट, कांग्रेस नहीं छू पाई पांच अंक का आंकड़ा; पढ़ें पूरी खबर
कमल को कहें या विशाल को मिले जनादेश ने यह तय कर दिया कि मतदाता जागरूक है और वह जात-पात पर नहीं बल्कि विकास की राह पर है।
धर्मशाला, जेएनएन। कमल को कहें या विशाल को मिले जनादेश ने यह तय कर दिया कि मतदाता जागरूक है और वह जात-पात पर नहीं, बल्कि विकास की राह पर है। उपचुनाव के रण में जाति आधार पर टिकट मिलने की चर्चाओं के बीच आजाद उतरे प्रत्याशी भी इसी आधार पर रण में थे। लेकिन धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जात-पात को दरकिनार कर विकास को चुन लिया।
हालांकि भाजपा का इस उपचुनाव में 20 हजार पार का नारा तो पार नहीं हुआ, लेकिन जीत जरूर दर्ज हुई। कांग्रेस इस उपचुनाव से 2022 की राह सुगम बनाने की राह पर थी, लेकिन उसका यह सफर सुगम नहीं हो पाया। हालात यह भी रहे कि यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी पांच अंकों वाला आंकड़ा भी छू नहीं पाया, साथ ही जमानत भी जब्त हो गई।
चुनाव के शुरूआती दौर से ही कांग्रेस का भाजपा पर विकास को लेकर प्रहार रहा था तो निर्दलीय राकेश चौधरी का जात-पात को लेकर अपना आधार रहा था। यह चुनावी परिणाम भी दर्शाता है कि भले ही राकेश चौधरी को जीत न मिली हो, लेकिन उन्होंने अपनी पकड़ का अहसास तो जरूर इस उपचुनाव में करवा दिया। दरअसल धर्मशाला विधानसभा के निचले क्षेत्र को ओबीसी बाहुल्य माना जाता है तो ऊपरी क्षेत्र गद्दी बाहुल्य।
भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी दोनों गद्दी समुदाय से थे, इसी को देखते हुए ओबीसी नेता ने आजाद चुनाव में उतरने की ठान ली। लेकिन वोटर्स ने नेताओं की सोच से ऊपर उठकर विकास का रास्ता चुना। भाजपा सरकार के अभी तीन साल का कार्यकाल बाकी है, ऐसे में जनता जानती है कि विकास सरकार ही करवाएगी और उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी को विजयी बना दिया।