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Dharamshala Ropeway: अब नौ मिनट में होगा धर्मशाला से मैक्‍लोडगंज का दस किलोमीटर लंबा सफर

Dharamshala Mcleodganj Ropeway पर्यटन सीजन में धर्मशाला से मैक्लोडगंज तक लगने वाले जाम से निजात दिलाने और क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई धर्मशाला-मैक्लोडगंज रोपवे परियोजना का कार्य पूर्ण हो चुका है। 19 जनवरी को इसका उद्घाटन होने के बाद लोगों को इसका लाभ मिल पाएगा।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 11:48 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 02:55 PM (IST)
Dharamshala Ropeway: अब नौ मिनट में होगा धर्मशाला से मैक्‍लोडगंज का दस किलोमीटर लंबा सफर
धर्मशाला से मैक्लोडगंज के लिए बनाया गया रोपवे। जागरण

धर्मशाला, मुनीष गारिया। Dharamshala Mcleodganj Ropeway, पर्यटन सीजन में धर्मशाला से मैक्लोडगंज तक लगने वाले जाम से निजात दिलाने और क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई धर्मशाला-मैक्लोडगंज रोपवे परियोजना का कार्य पूर्ण हो चुका है। 19 जनवरी को इसका उद्घाटन होने के बाद लोगों को इसका लाभ मिल पाएगा। करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से बना यह रोपवे मैक्लाेडगंज जाने वाले पर्यटकों को मिनटों में ही पर्यटन स्थल में पहुंचा देगा। पर्यटकों को 10 किलोमीटर सड़क मार्ग पर जाम में फंसते हुए मैक्लाेडगंज नहीं पहुंचना पड़ेगा। अब महज नौ मिनट में हवा में सफर करते हुए मैक्‍लोडगंज पहुंच जाएंगे।

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पर्यटन सीजन के दौरान वाहनों की भारी आमद के कारण ट्रैफिक जाम लग जाता है। इस कारण धर्मशाला से मैक्‍लोडगंज पहुंचने में तीन या चार घंटे भी लग जाते हैं। मैक्लोडगंज से रोपवे तक पहुंचने का अनुमानित समय नौ मिनट होगा। रोपवे में सफर करने के लिए अभी तक प्रति व्यक्ति पांच से सात सौ के बीच किराया बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक किराया फाइनल नहीं हुआ है।

1.75 किलोमीटर लंबा है यह रोपवे

रोपवे की कुल लंबाई 1.75 किलोमीटर है। इसका बेस टर्मिनल धर्मशाला बस-स्टैंड और ऊपरी टर्मिनल दलाई लामा बौद्ध मठ के समीप है। इसमें 13 टावरों के साथ, यह एक मोनो-केबल डिटैचेबल गोंडोला (केबिन) सिस्टम रोपवे है, जिसमें 18 केबिन है और प्रति घंटे 1,000 व्यक्तियों को लाने व ले जाने की क्षमता होगी। धर्मशाला बस स्टैंड के पास रोपवे के बेस टर्मिनल के समीप निर्माण एजेंसी की ओर से एक छोटी भूमिगत पार्किंग का निर्माण किया गया है।

पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा

पर्यटन के क्षेत्र की प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना हैं। इसके निर्माण से जहां प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं साहसिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। इनके निर्माण से स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे जिससे उनकी आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी।

यह भी पढ़ें: रोपवे में धर्मशाला से मैक्‍लोडगंज के सफर की कर लें तैयारी, दिन में 18 घंटे मिलेगी सुविधा, जानिए नियम

2013 में हुई थी रोवपे की घोषणा

धर्मशाला-मैकलोडगंज रोपवे की घोषणा साल 2013 में की गई थी और इसे 13 फरवरी 2015 को सरकार की अंतिम मंजूरी मिल गई थी। सरकार द्वारा 8 जून 2015 को टीआरआइएल के पक्ष में एक पत्र जारी किया गया था। 16 जनवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। परियोजना को 2018 के अंत तक पूरा किया जाना था, लेकिन वन मंजूरी में देरी के कारण स्थगित कर दिया गया था। रोपवे परियोजना के लिए कुल 2.24 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई थी, जिसमें से 1.69 हेक्टेयर वन भूमि थी। परियोजना के लिए 439 पेड़ काटे गए।


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