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बेसहारा पशु बन गए सहारा, डांगरी गोसदन में रखा गोवंश प्रतिदिन दे रहा 80 लीटर दूध, पढ़ें खबर

Destitute Animal in Dangari Gosadan बेसहारा पशु आय का साधन भी बन सकते हैं। ठाकुरद्वारा गो सेवासदन डांगरी का प्रयास अब रंग लाने लगा है। वर्ष 2008 में तीस बेसहारा पशुओं को एकत्रित करके यह गोसदन शुरू किया गया था। वर्तमान में यहां पर 122 पशुओं को रखा गया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 06:35 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 07:21 AM (IST)
बेसहारा पशु बन गए सहारा, डांगरी गोसदन में रखा गोवंश प्रतिदिन दे रहा 80 लीटर दूध, पढ़ें खबर
बेसहारा पशु आय का साधन भी बन सकते हैं।

सोलन, भूपेंद्र ठाकुर। Destitute Animal in Dangari Gosadan, बेसहारा पशु आय का साधन भी बन सकते हैं। ठाकुरद्वारा गो सेवासदन डांगरी का प्रयास अब रंग लाने लगा है। वर्ष 2008 में तीस बेसहारा पशुओं को एकत्रित करके यह गोसदन शुरू किया गया था। वर्तमान में यहां पर 122 पशुओं को रखा गया है। इनमें से 20 पशु उपचार के बाद दुधारू भी हो चुके हैं। प्रतिदिन सोलन शहर में 80 लीटर दूध बेचा जा रहा है, जिन लोगों ने यह पशु नकारा समझ कर सड़कों पर मरने के लिए बेसहारा छोड़ दिए थे। अब वही पशु ठाकुरद्वारा गो सेवासदन के लिए आय का साधन बन गए हैं।

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बेसहारा पशुओं को दुधारू बनाए जाने के बाद प्रत्येक माह एक लाख रुपये की आय अर्जित की जा रही है। ठाकुरद्वारा गोसेवा सदन का अधिकतर खर्च इसी पैसे से किया जा रहा है। बेसहारा पशुओं की देख-रेख के लिए सात कर्मचारी भी रखे गए हैं। प्रत्येक सप्ताह पशु चिकित्सक पशुओं की जांच करने के लिए यहां आते हैं।

लगातार प्रयास किया जा रहा है कि पशुओं को उपचार के बाद दुधारू बनाया जाए। डांगरी गो सेवा सदन के इस प्रयास ने साबित कर दिया है कि पशु बेसहारा नहीं हैं। यदि इन पशुओं का अच्छे से उपचार करवाया जाए तो  यह मानव जीवन का सहारा बन सकते हैं।

डांगरी गो सेवा सदन के अध्यक्ष कुलभूषण गुप्ता का कहना है कि कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि बेसहारा पशु दुधारू बन सकते हैं। शुरूआती दौर में शहर व आसपास के कुछ लोगों ने  मिलकर यह प्रयास किया था। आज यह प्रयास सफल होने लगा है। गो सेवा सदन काफी अच्छे स्तर पर दूध का उत्पादन कर रहा है।

प्रयास किया जा रहा है कि दूध उत्पादन को 80 लीटर से बढ़ाकर 200 लीटर तक किया जाए। स्थान के अभाव की वजह से वह इससे अधिक पशुओं को नहीं रख सकते हैं। वर्तमान में जो पशु उनके पास हैं उनका अच्छे से उपचार करवाया जा रहा है। उम्मीद है कि और पशु आने वाले दिनों में दुधारू होंगे। जो आय दूध बेचने के बाद होती है उसे गोसेवा सदन के विकास व सुविधाओं पर खर्च किया जाता है।


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