आम लोगों तक पहुंचे शोध तभी सार्थक : राज्यपाल
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि शोध को आम जन तक पहुंचाया
जागरण टीम, शिमला/पालमपुर : राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि शोध को आम जन तक पहुंचाया जाए तभी यह सार्थक होगा। कोरोना में सीएसआइआर (वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) -आइएचबीटी (हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान) की भूमिका सराहनीय रही है। संस्थान के शोध, उद्यमशीलता व स्टार्टअप स्थापित करके जन समुदाय की आजीविका के साधन को बढ़ाने के प्रयास भी सराहनीय रहे हैं।
राज्यपाल वीरवार को सीएसआइआर के 38वें स्थापना सप्ताह समारोह में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संस्थान द्वारा हैंड सैनिटाइजर, हर्बल साबुन की तकनीक विकसित करने तथा स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' तथा 'वोकल फॉर लोकल' आह्वान की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
राज्यपाल ने 'सीएसआइआर-आइएचबीटी की पुष्प संपदा' 'सीएसआइआर-आइएचबीटी की सगंध फसल संपदा', का विमोचन तथा प्रो. एसएस हांडा ने 'सीएसआइआर-आइएचबीटी में स्टीविया जर्मप्लाजम' तथा 'मोंक फ्रूट' पर प्रकाशनों का विमोचन किया।
इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके सरियाल, पूर्व कुलपति डॉ. एसके शर्मा, संस्थान की अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुश, पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुधीर सौपोरी, आइआइटीआर, लखनऊ के निदेशक प्रो. आलोक धवन आदि शामिल हुए।
सीएसआइआर-भारतीय समवेत औषध संस्थान, जम्मू के पूर्व निदेशक प्रो. एसएस हांडा ने फाइटोफार्मास्यूटिकल औषध: नए विनियम' विषय पर संभाषण दिया।