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हिमाचल के लघु फार्मा उद्योगों पर संकट, कम सप्‍लाई से बढ़े कच्चे माल के रेट, प्रभावित हो सकता है उत्पादन

Indian Pharmaceutical Industry Update देश में आवश्यक दवाओं का उत्पादन कच्चे माल की कमी के कारण संकट में है। कच्चा माल यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट (एपीआइ) में कमी के बाद रेट में भारी बढ़ोतरी होने से लघु फार्मा उद्योग संकट में हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 11:26 AM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 12:16 PM (IST)
हिमाचल के लघु फार्मा उद्योगों पर संकट, कम सप्‍लाई से बढ़े कच्चे माल के रेट, प्रभावित हो सकता है उत्पादन
देश में आवश्यक दवाओं का उत्पादन कच्चे माल की कमी के कारण संकट में है।

सोलन, भूपेंद्र ठाकुर। Indian Pharmaceutical Industry Update, देश में आवश्यक दवाओं का उत्पादन कच्चे माल की कमी के कारण संकट में है। कच्चा माल यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट (एपीआइ) में कमी के बाद रेट में भारी बढ़ोतरी होने से लघु फार्मा उद्योग संकट में हैं। यदि केंद्र सरकार ने जल्द पुख्ता कदम नहीं उठाए तो हिमाचल प्रदेश के करीब 100 से अधिक फार्मा उद्योगों पर ताला लटक सकता है। देश कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है, जो संकट की घड़ी में चालाकी कर रहा है। प्रदेश में करीब 575 फार्मा उद्योग हैं।

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बड़े उद्योगों के पास तो बजट अधिक रहता है, इसलिए वे दो से तीन माह का कच्चा माल खरीद कर रख लेते हैं, ताकि उत्पादन प्रभावित न हो। लघु फार्मा उद्योगों के पास इतना बजट नहीं होता है कि वे एक साथ 50 लाख रुपये का कच्चा माल खरीद कर रख लें। चिंता की बात यह है कि कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने लघु उद्योगों को उधार देना भी बंद कर दिया है। अब केवल अग्रिम राशि जमा करवाए जाने के बाद ही आपूर्ति की जा रही है। लघु फार्मा उद्योगों के लिए दूसरी बड़ी चिंता अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को लेकर है। तीन वर्ष पहले नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी की ओर से कच्चे माल के रेट के हिसाब से दवाओं का एमआरपी तय किया था। अब हालात ये हैं कि कच्चे माल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और एमआरपी उतना ही है।

दवा उत्पादन में हिमाचल अग्रणी राज्य

दवा उत्पादन में हिमाचल प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। बीते वित्त वर्ष में करीब 15 से 20 हजार करोड़ रुपये की दवाओं का उत्पादन प्रदेश की फार्मा कंपनियों ने किया था। इस वर्ष कच्चा माल महंगा होना और कम आपूर्ति के कारण उत्पादन में 20 फीसद तक की गिरावट आई है, जो कि बढ़ सकती है। प्रदेश में करीब 100 ऐसे लघु फार्मा उद्योग हैं, जिनकी वार्षिक टर्नओवर 10 से 12 करोड़ रुपये तक रहती है। इन उद्योगों ने करीब 50 हजार हिमाचली व दूसरे राज्यों के लोगों को रोजगार दिया है। यदि फार्मा उद्योगों की यह श्रेणी प्रभावित होती है तो इसका असर रोजगार पर भी पड़ेगा।

मुख्यमंत्री जयराम से उठाया मामला

वीरवार को हिमाचल प्रदेश दवा उत्पादक संघ की वर्चुअल बैठक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हुई। इस दौरान संघ ने एपीआइ के बढ़ते रेट का मुद्दा उठाया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि यह मामला केंद्र सरकार के समक्ष रखा जाएगा। प्रदेश सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखेगी, जिसमें एपीआइ के बढ़ते रेट व नियमित आपूर्ति की बात कही जाएगी। वहीं, संघ ने सरकार से मांग की है कि फार्मा उद्योगों के कर्मचारियों को कोरोना की वैक्सीन दी जाए, इसका खर्च उठाने के लिए भी वे तैयार हैं।


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