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क्रैश बैरियर पालिसी : क्रैश बैरियर की समय पर मरम्मत न हुई तो जेई, एसडीओ होंगे जिम्मेदार

Crash Barrier Policy हिमाचल में क्रैश बैरियर की मरम्मत समय पर नहीं की तो इसके लिए लोक निर्माण विभाग के जेई और एसडीओ जिम्मेदार होंगे। सरकार इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी। एक्सईएन एसई चीफ इंजीनियर को बर्फवारी व मानसून से पहले और बाद में सड़कों का नियमित दौरा करना होगा।

By Virender KumarEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 06:30 AM (IST)
क्रैश बैरियर की समय पर मरम्मत न हुई तो जेई, एसडीओ जिम्मेदार होंगे । जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य ब्यूरो। Crash Barrier Policy, हिमाचल प्रदेश में क्रैश बैरियर की मरम्मत समय पर नहीं की तो इसके लिए लोक निर्माण विभाग के जेई और एसडीओ जिम्मेदार होंगे। सरकार इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी। एक्सईएन, एसई, चीफ इंजीनियर को बर्फवारी व मानसून से पहले और बाद में सड़कों का नियमित दौरा करना होगा। निजी एजेंसी अथवा ठेकेदारों के साथ हर मंडल में तीन से पांच कान्ट्रेक्ट अवार्ड करने होंगे। इसके लिए आनलाइन निविदाएं मंगानी होगी। अगर एजेंसी की परफार्मेंंस सही नहीं पाई गई तो फिर उसे कांट्रेक्ट प्राइस का दस फीसद तक जुर्माना लगेगा। इस संबंध में सरकार ने मंत्रिमंडल में दी गई पालिसी की अब अधिूसचना जारी कर दी है। 24 सितंबर को यह बैठक हुई थी।

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अब बदले जा सकेंगे क्षतिग्रस्त बैरियर

अब क्रैश बैरियर की बेहतर तरीके से रखरखाव हो सकेगा। खराब या क्षतिग्रस्त होने की सूरत में इन्हें बदला भी जा सकेगा। यह कार्य लोक निर्माण विभाग नहीं बल्कि इस कार्य में महारत हासिल निजी एजेंसियां करेंगी। इनके साथ तीन-तीन साल का सर्विस लेवल एग्रीमेंट होगा। जिस भी एजेंसी ने बेहतर सेवाएं दी तीन साल के बाद भी एग्रीमेंट रिन्यू होगा। लेकिन गुणवत्ता का ख्याल न रखने वाली एजेंसी को पेनल्टी लगाई जाएगी। अभी तक खराब क्रैश बैरियरों के रखरखाव का कोई पुख्ता प्रविधान नहीं था। लोक निर्माण विभाग के एक अंतराल के बाद मरम्मत तो करवा था, लेकिन इसके लिए फंड की कोई उचित व्यवस्था नहीं होती थी।

सड़कों का कितना नेटवर्क

प्रदेश में 38500 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क है। मौजूदा समय में प्रदेश में 472 किलोमीटर सड़क में क्रैश बैरियर लगे हैं। अब नई नीति में इनको और बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश में सड़क हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। प्रदेश में हर साल औसतन 1200 लोगों की सड़क हादसों से मौत हो रही है। नई पालिसी से हादसों की भी रोकथाम हो सकेगी।


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