Move to Jagran APP

Coronavirus: चित्रों में उकेरा कोरोना राक्षस, कांगड़ा शैली के चित्रकार अपनी कलम से दे रहे खास संदेश

कोरोना के इस क्रूर काल में कांगड़ा कलम ने सब कुछ वैसे ही रखा है पात्र और विषय बदल लिए हैं। इसे साबित करते हैं कांगड़ा कलम की सेवा में जुटे धनीराम के बनाए तीन चित्र।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 01:28 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 01:28 PM (IST)
Coronavirus: चित्रों में उकेरा कोरोना राक्षस, कांगड़ा शैली के चित्रकार अपनी कलम से दे रहे खास संदेश
Coronavirus: चित्रों में उकेरा कोरोना राक्षस, कांगड़ा शैली के चित्रकार अपनी कलम से दे रहे खास संदेश

धर्मशाला, मुनीष गारिया। प्रकृति..नायक श्रीकृष्ण, नायिका राधाजी, कभी-कभी दीगर राजा महाराजा भी.. गिलहरी की पूंछ से बना ब्रश और वनस्पति से सहेजे रंग। यही परिचय था कांगड़ा चित्रकला शैली का। नायक-नायिका के अंतरंग लम्हों से लेकर प्रकृति प्रेम तक सब था। लेकिन वह कला ही क्या जो अपने समय के प्रश्नों को संबोधित न करे। कोरोना के इस क्रूर काल में कांगड़ा कलम ने सब कुछ वैसे ही रखा है, पात्र और विषय बदल लिए हैं। इसे साबित करते हैं कांगड़ा कलम की सेवा में जुटे धनीराम के बनाए तीन चित्र। तीनों चित्र कोरोना से जुड़े हैं। देश के कई राज्यों में मास्क अब अनिवार्य किया गया है लेकिन उन आदेशों से पहले के बने ये चित्र पहले ही संदेश दे चुके हैं।

loksabha election banner

पहले चित्र में मुंह पर मास्क लगाए नायक ने कोरोना के रूप में दिखाए गए राक्षस के माथे पर तलवार धर दी है। नायक के गले में जो पटका है, उसकी एक ओर से सैनिटाइजर की फुहारें निकल रही हैं जबकि दूसरी तरफ मास्क लगा है। मजे की बात यह है कि कोरोना राक्षस की ढाल झुकी हुई है, खड़ग आधा टूट चुका है। संदेश यह है कि अगर साफ सफाई रखें तो कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

दूसरे चित्र में ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ यानी शारीरिक दूरी का संदेश है। दो स्त्रियां मास्क पहन कर वार्तालाप कर रही हैं। पाश्र्व में एक पिंजड़े में एक तोता है जो उनकी बात सुन रहा है। यानी यह भी साफ कर रहा है कलाकार कि सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ सामाजिक दूरी नहीं है, शारीरिक दूरी है। सामाजिक रूप से दूर होने की आवश्यकता नहीं है।

तीसरे चित्र में प्रधानमंत्री के आह्वान पर दीप प्रज्वलन का चित्रण है। इसमें नायक का परिधान गद्दी समुदाय वाला है। दीप सहेजे नायक ने सफेद रंग का चोला पहना है जिस पर काली डोरी बंधी है। नायक-नायिका समेत छह पात्र हैं जो शारीरिक दूरी बनाए दीप जला रहे हैं।

कांगड़ा कला में भी कोरोना के खिलाफ संदेश देने का सामथ्र्य है। सब सतर्क रहें, स्वस्थ रहें, यही मेरा कहना है।’ -धनीराम, कांगड़ा शैली के चित्रकार।

30 वर्ष से कर रहे कांगड़ा कला की सेवा

धनीराम करीब 30 वर्ष से कांगड़ा कला की सेवा कर रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने चंदू लाल रैणा से कला की बारीकियां सीखीं और उनके बाद से पद्मश्री से अलंकृत विजय शर्मा उनके गुरु हैं। धनी राम को मध्य प्रदेश के कालीदास सम्मान और ललित कला अकादमी सम्मान समेत कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वह इन दिनों भाषा एवं संस्कृति विभाग के कर्मचारी हैं और बज्रेश्वरी देवी मंदिर में कलाकार के पद पर तैनात हैं। वह कांगड़ा कला संग्रहालय में कांगड़ा चित्रकला के अध्यापक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। अब 300 विद्यार्थियों को कांगड़ा कला की बारीकियां सिखा चुके हैं, जिसमें 25 विद्यार्थी मूक-बधिर हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.