मात्र 4000 रुपये में मिलेगा पोर्टेबल वेंटिलेटर, मोबाइल एप से होगा संचालित; आइआइटी विशेषज्ञों ने किया विकसित
Low Cost Ventilator केंद्र व प्रदेश सरकार को वेंटिलेटर के लिए अब लाखों रुपये नहीं खर्च करने होंगे।
मंडी, हंसराज सैनी। केंद्र व प्रदेश सरकार को वेंटिलेटर के लिए अब लाखों रुपये नहीं खर्च करने होंगे। पोर्टेबल वेंटिलेटर अब मात्र 4000 रुपये मिलेगा। बड़ी खूबी यह है पोर्टेबल वेंटिलेटर गांव देहात में भी काम करेगा। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना संभव होगा। यह मोबाइल एप से संचालित होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताआें ने दो कम लागत के पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किए हैं। यह उपयोग में आसान हैं, इन्हें आपातकालीन चिकित्सा के लिए गांव भी ले जा सकते हैं।
मोबाइल एप्लीकेशन से काम करेगा स्मार्ट वेंटिलेटर
आइआइटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता ने शोधकर्ता लोकेंद्र सिंह आैर सौरभ डोगरा के साथ मिल कर मात्र 4,000 रुपये की लागत में स्मार्ट वेंटिलेटर विकसित किया है। मैकेनाइज्ड आर्टिफिशियल मेन्युअल ब्रीदिंग यूनिट (एम्बू) बैग के रूप में विकसित प्रोटोटाइप में सांस की दर आैर मरीज के फेफड़ाें में प्रवाहित हवा की मात्रा को नियंत्रित करने जैसे विकल्प भी हैं। खास तौर से विकसित प्रोडक्ट की विशिष्टता यह है मेन्युअल उपयोग करने के अलावा मोबाइल एप्लिकेशन पर वाई फाई से इसका उपयोग एवं नियंत्रण किया जा सकता है। इस मकसद से शोधकर्ताओं ने स्मार्टफोन एप्लीकेशन वेंटिलेटर भी विकसित किया है। मोबाइल एप्लीकेशन से वेंटिलेटर को चालू व बंद कर सकते हैं आैर सांस/मिनट (बीपीएम) की दर भी बदल सकते हैं।
दूर से उपयोग किया जा सकता है वेंटिलेटर
डिजाइन किए गए प्रोटोटाइप में हवा पंप करने के लिए स्लाइडर क्रैंक मैकेनिज्म है आैर यह वेंटिलेटर बनाना, असेंबल करना आैर उपयोग करना भी आसान है। बकौल डॉ. अर्पण गुप्ता कोविड 19 महामारी के मद्देनजर डिजाइन किया गया। कम लागत का यह वेंटिलेटर मेन्युअली उपयोग करने के साथ स्मार्टफोन एप से वाई-फाई उपयोग किया जा सकता है। इससे चिकित्सा कर्मियाें की सुरक्षा होगी, जो दूर से वेंटिलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
चेतावनी का अलार्म
वेंटिलेटर पर एक आपातकालीन स्विच आैर मोबाइल एप्लीकेशन का भी विकल्प है ताकि वेंटिलेटर में किसी खराबी आने पर इसे रोक दिया जाए आैर इसमें चेतावनी का अलार्म भी लगा है। वेंटिलेटर सीधे एसी सप्लाई या बाहरी बैटरी पर काम करेगा। यह वेंटिलेटर गैर गंभीर मरीजाें के लिए है जिन्हें सांस लेने में मदद चाहिए। प्रोटोटाइप के विकास के लिए आवश्यक सलाह देने के लिए एक मेडिकल टीम बनाई गई। इसमें आइआइटी मंडी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. चंद्र सिंह आैर जागृति अस्पताल, मंडी के डॉ. मंजुल शर्मा आैर डॉ. जसदीप शामिल थे।
कम लागत में मैकेनिकल वेंटिलेटर
स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रो. डॉ. राजीव कुमार ने अपनी शोध टीम के साथ मिलकर कम लागत में मैकेनिकल वेंटिलटर विकसित किया है। इलेक्ट्रिकल मोटर चालित सेल्फ. इंफ्लेटेबल बैग के इस्तेमाल से बने इस वेंटिलेटर की लागत 25,000 रुपये से कम होगी। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शोध टीम ने आम तौर पर इलेक्ट्रिकल वेंटिलेटर में उपयोग होने वाले मोटर के साथ आर्टिफिशियल मेन्युअल ब्रीदिंग यूनिट (एएमबीयू) बैग या सेल्फ.इन्फ्लेटेबल बैग उपयोग किया है। इस वेंटिलेटर में सिंगल रैक आैर पिनियन मैकेनिज्म का उपयोग किया गया है। इसके तहत सेल्फ.इन्फ्लेटेबल बैग को एक तरफ से कम्प्रेस किया जाता है जो मरीज के फेफड़ाें में ऑक्सीजन पहुंचाता है। यह काम इनवेसिव या गैर इनवेसिव माध्यम से हो सकता है। इस तरह विकसित किए वेंटिलेटर का मरीज आैर वेंटिलेटर का ऑपरेटर से इंटरफेस होता है।
कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्र में होगा कारगर
कोविड-19 महामारी के संकट में कम लागत का यह वेंटिलेटर खास कर गांवाें के मरीजाें के लिए बहुत उपयोगी होगा क्याेंकि यह पोर्टेबल है। उपयोगकर्ता इसमें सांस/ मिनट (बीपीएम), टाइडल वॉल्यूम आैर सांस लेने.छोड़ने का समय अनुपात भी निर्धारित कर सकते हैं। वायुमार्ग के उच्च दबाव के लिए इसमें सेटिंग्स आैर स्टेटस आैर अलार्म के डिस्प्ले भी हैं। ये फीचर आमतौर पर प्रोटोटाइप की तुलना में बहुत कीमती वेंटिलेटराें में होते हैं।