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Coronavirus की दहशत के बीच बार एसोसिएशन ने किया 31 मार्च तक कोर्ट बंद रखने का आग्रह

Coronavirus जिला कुल्लू व मंडी बार एसोसिएशन ने बैठकें कर प्रदेश उच्च न्यायालय से 31 मार्च तक कोर्ट को बंद रखने का आग्रह किया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 04:51 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 04:51 PM (IST)
Coronavirus की दहशत के बीच बार एसोसिएशन ने किया 31 मार्च तक कोर्ट बंद रखने का आग्रह
Coronavirus की दहशत के बीच बार एसोसिएशन ने किया 31 मार्च तक कोर्ट बंद रखने का आग्रह

मंडी, जेएनएन। कोरोना वायरस के कारण हिमाचल प्रदेश बार एसोसिएशन जरूरी मामलों की सुनवाई ही किए जाने की पैरवी की है। इसके अलावा मंडी व कुल्लू के कोर्ट में वकील नहीं आएंगे। जिला कुल्लू व मंडी बार एसोसिएशन ने बैठकें कर प्रदेश उच्च न्यायालय से 31 मार्च तक कोर्ट को बंद रखने का आग्रह किया है। साथ ही कहा है कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए कोर्ट नहीं आने का फैसला लिया है। क्योंकि दोनों जिलों के कोर्ट परिसर में अधिक भीड़ रहती है और यहां पर प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के लोग भी मामलों की सुनवाई के लिए आते हैं। ऐसे कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 31 मार्च तक न्यायालय परिसर में अवकाश देने की मांग प्रदेश उच्च न्यायालय से की गई है।

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मंडी जिला बार एसोसिएशन की सोमवार को हुई बैठक में अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि मंडी जिला न्यायालय के एरिया में अधिक भीड़ रहती है। ऐसे में तय किया है कि 31 मार्च तक कम से कम संख्या में केवल उन्हीं केसों के लिए न्यायालय आएं जो जरूरी हैं, ताकि भीड़ कम हो। मंडी न्यायालय परिसर के साथ ही उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक कार्यालय आदि हैं तथा यहां पर भीड़ रहती है। कोरोना वायरस के अलर्ट के तहत भीड़ एकत्रित न करने के आदेश दिए गए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय से 31 मार्च तक अवकाश घोषित करने की मांग की गई है।

वहीं कुल्लू बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक परमार, रविंद्र चौहान महासचिव ने बताया कि बार एसोसिएशन के सदस्यों ने बैठक कर तय किया है कि कोरोना वायरस के चलते 31 मार्च तक वकील न्यायालय में उपस्थित नहीं रहेंगे। साथ ही सुनवाई आदि के लिए आने वाले उनके क्लाइंट को भी न आने की सलाह दी गई है। उन्होंने न्यायाधीशों से मांग की है कि कोरोना वायरस को देखते हुए उनकी इस मांग पर विचार हो और किसी तरह आदेश उनके विरुद्ध न किए जाएं। उन्होंने प्रदेश उच्च न्यायालय से मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है।


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