उच्च अंतरराष्ट्रीय प्रवास व बड़े जल निकायों के पास तेजी फैल सकता है कोरोना, IIT मंडी के शोधार्थियों ने की पहचान
Coronavirus Spread Rapidly देश के उच्च अंतरराष्ट्रीय प्रवास वाले राज्य व बड़े जल निकायों के समीप स्थित जिलों में काेरोना तेजी से फैल सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधार्थियों ने उन राज्यों की पहचान की है
मंडी, जागरण संवाददाता। Coronavirus Spread Rapidly, देश के उच्च अंतरराष्ट्रीय प्रवास वाले राज्य व बड़े जल निकायों के समीप स्थित जिलों में काेरोना तेजी से फैल सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधार्थियों ने उन राज्यों की पहचान की है, जहां कोविड-19 के प्रसार के लिए सबसे पहले हाटस्पाट होने की संभावना है। शोधार्थियों ने इस अध्ययन के लिए देश में कोविड-19 और पिछली महामारियों के प्रसार की समीक्षा की है। एक अप्रैल से 25 दिसंबर 2020 तक 640 जिलों पर किए गए अध्ययन के अनुसार देश में महामारी के हाटस्पाट उच्च अंतरराष्ट्रीय प्रवास वाले राज्य और बड़े जल निकायों के करीब स्थित जिले रहे हैं।
महाराष्ट्, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य कोविड19 महामारी के हाटस्पाट थे। इनमें से लगभग सभी राज्यों में अंतरराष्ट्रीय प्रवास एक महत्वपूर्ण कारक है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि भविष्य में महामारी के प्रकोप के मामलों में इन राज्यों से आवागमन की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए।
शोधकर्ताओं ने पिछली महामारियों की समीक्षा की और स्पेनिश फ़्लू (1918,1919) एच1एन1 (2014-2015) स्वाइन फ़्लू (2009-2010) और कोविड-19 (2019-2021) के प्रकोपों के बीच सामान्य पैटर्न पाया। तापमान और आर्द्रता के मामले में जल निकायों का क्षेत्र के माइक्रो क्लाइमेट पर एक मजबूत प्रभाव है, जो क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसे आमतौर पर झील प्रभाव के रूप में जाना जाता है। इस शोध का नेतृत्व डाक्टर सरिता आजाद एसोसिएट प्रोफेसर स्कूल आफ बेसिक साइंस आइआइटी मंडी ने किया और सह लेखक नीरज पूनिया रिसर्च स्कालर हैं।
बकौल डाक्टर सरिता आजाद, देश में विभिन्न महामारियों के संचरण के केंद्र बिंदु और मार्ग में एक उल्लेखनीय समानता रही है, जैसे कि स्पेनिश फ्लू, स्वाइन फ्लू और कोविड19, अधिकतर सभी महामारियां भारत के उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में केंद्रित पाई गई हैं। बड़े जल निकायों तक सीधी पहुंच वाले जिलों में पिछले सीजन की तुलना में मानसून के दौरान 800 प्रतिशत तक मामलों में अचानक वृद्धि हुई थी। इन जिलों में प्रकोप के दौरान मानसून के मौसम की शुरुआत से पहले सख्त एहतियाती उपाय किए जाने चाहिए। इन क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रसार को समझने के लिए उन जिलों में तापमान भिन्नता की जांच की है जो पानी के बड़े निकायों के करीब हैं।
इन जिलों में औसत न्यूनतम और अधिकतम तापमान जुलाई में पड़ोस की तुलना में लगभग तीन और पांच डिग्री सेल्सियस कम है जो झील के प्रभाव के लिए जिम्मेदार है। ठंडी जलवायु परिस्थितियों ने जल निकायों के नजदीक वाले जिलों में कोविड मामलों में वृद्धि में योगदान दिया हो सकता है। शोधकर्ताओं ने 31 अगस्त 2020 तक इन जिलों के लिए आरओ मूल्यों का अनुमान लगाया है और परिणाम बताते हैं कि उनके आरओ मूल्य प्राथमिक हाटस्पाट राज्यों की तुलना में बहुत अधिक हैं।
महामारी विज्ञान में मूल प्रजनन संख्या जिसे आमतौर पर आरओ के रूप में जाना जाता है। बीमारी के प्रसार की मात्रा निर्धारित करती है और आबादी में एक मामले द्वारा सीधे उत्पन्न होने वाले मामलों की अपेक्षित संख्या का पता लगाती है। शोधकर्ताओं ने घातीय वृद्धि पद्धति का उपयोग करके दैनिक रिपोर्ट किए गए मामलों में कोविड-19 के आरओ की गणना की। शोधकर्ताओं ने उच्च अंतरराष्ट्रीय प्रवास दर वाले राज्यों में लक्षित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है और अनुशंसा की है कि मानसून का मौसम शुरू होने से पहले पानी के बड़े निकायों के पास के जिलों में सख्त एहतियाती उपाय किए जाने चाहिएं।
मानसून के दौरान इन जिलों में सामने आया उच्च आरओ दर्शाता है कि यदि टीकाकरण उपलब्ध है तो इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भले ही सर्दियों के मौसम में देशभर में संचरण दर स्थिर रही। लेकिन उत्तरी क्षेत्रों में मामलों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं ने उन राज्यों और जिलों की भी पहचान की है जहां भविष्य में प्रकोप होने की स्थिति में सरकार को अधिक अनुरूप और लक्षित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।