धर्मशाला में विधानसभा की परंपरा पर भारी पड़ सकता है कोरोना
हिमाचल प्रदेश में कोरोना का बढ़ता प्रभाव इस बार कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला की परंपरा पर संशय पैदा कर गया है। सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोना के मद्देनजर कई फैसले लिए गए हैं। लक्ष्य यही है कि गतिविधियों को कम किया जाए।
धर्मशाला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में कोरोना का बढ़ता प्रभाव इस बार कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला में विधानसभा की परंपरा पर संशय पैदा कर सकता है। सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोना के मद्देनजर कई फैसले लिए गए हैं। लक्ष्य यही है कि गतिविधियों को कम किया जाए।
सरकार ने इस कड़ी में अपने कार्यक्रम जनमंच पर भी रोक लगा दी है। रैलियां भी अभी स्थगित रहेंगी। लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शहरी विकास मंत्री के यह कहने से कि जरूरी नहीं कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र हो ही जाए, एक परंपरा पर संशय नजर आ रहा है। गौरतलब है कि धर्मशाला के तपोवन स्थिति विधानसभा भवन में हर वर्ष शीतकालीन सत्र होता है। पक्ष और विपक्ष के अतिरिक्त पूरी सरकार कांगड़ा आती है। लेकिन जिस तरह कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, एहतियाती उपायों के बीच संभव है कि शीतकालीन सत्र कुछ देर बाद हो या धर्मशाला में न होकर शिमला में हो।
दरअसल, पिछले सत्र को अभी छह माह नहीं हुए हैं, इसलिए इसे टाला भी जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि विपक्ष के लोगों के बातचीत के बाद तय करेंगे कि सत्र करें या नहीं, या धर्मशाला में ही करें, अथवा शिमला में।
विधानसभा सत्र की परंपरा को हर सरकार निभाती रही है लेकिन इस बार स्थितियां अप्रत्याशित हैं और महामारी के कारण कई उचित पग उठाना अपेक्षित है। धर्मशाला में सत्र का लाभ ,खास तौर पर कांगड़ा, चंबा और ऊना, हमीरपुर जैसे जिलों को होता है। हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है लिहाजा सरकार भी एहतियातन कुछ कदम उठाने पड़ रहे हैं।