Move to Jagran APP

खतरनाक है नदी, नालों के किनारे व ढलानों पर भवन निर्णाण, जानिए क्यों

हिमाचल के सब पहाड़ी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं। फिर भी सब शहर व पर्यटक स्थल कंक्रीट के जंगल में बदलते जा रहे हैं। नदी नालों खड्डों के किनारे व पहाड़ों की ढलानों पर भवन निर्माण आपदा के समय जान खतरे में डाल सकता है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 09:46 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 09:46 PM (IST)
खतरनाक है नदी, नालों के किनारे व ढलानों पर भवन निर्णाण, जानिए क्यों
धर्मशाला में चरान खड्ड के किनारे हुआ भवन निर्माण। जागरण

मुनीष दीक्षित, बैजनाथ। पानी या प्रकृति के रास्ते में रोड़े अटकाना यानी सब मिट्टी कर देना। मिट्टी कर देना यानी सब गंवा देना। पहाड़ों पर लिखी जा रही बेतरतीब निर्माण की पटकथा अब दुखांतक होने लगी है। सीधा आमंत्रण है बड़े खतरे को। हिमाचल के सब पहाड़ी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं। फिर भी सब शहर व पर्यटक स्थल कंक्रीट के जंगल में बदलते जा रहे हैं। नदी, नालों, खड्डों के किनारे व पहाड़ों की ढलानों पर घर, होटल व दुकानों का निर्माण आपदा के समय जान खतरे में डाल सकता है। भागसूनाग और चैतड़ू में यही हुआ है। हिमाचल प्रदेश में कई साल से बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं। कांगड़ा जिला दो दशक में बादल फटने व भूस्खलन से काफी नुकसान झेल चुका है।

loksabha election banner

शिमला, मनाली धर्मशाला, डलहौजी में सबसे अधिक निर्माण हुआ है। मैक्लोडगंज से लेकर भागसूनाग और आसपास के पहाड़ों पर तेजी से निर्माण कार्य जारी हैं। भागसूनाग में दो नाले पाॄकग या होटलों के अंदर बंद कर दिए गए हैं। सोमवार को नाले ने रौद्र रूप दिखाया तो करोड़ों रुपये की क्षति हुई। प्रशासनिक व नगर नियोजन के अधिकारियों के सामने निर्माण हो रहा है। कई मंजिलों वाले भवन बन चुके हैं।

कांगड़ा में 1905 में आए भूकंप में भारी नुकसान हुआ था। भूकंप का बड़ा कभी झटका आया है तबाही कई गुणा बढ़ सकती है। दिलचस्प यह है कि बेतरतीब भवन निर्माण के खिलाफ खिलाफ आवाज विदेशी पर्यटक उठाते हैं या अदालतें। पर्यटन स्थलों पर भवनों का विस्तार तो हुआ है लेकिन सड़कें अब भी संकरी हैं। बड़ी आपदा की स्थिति में संकरे रास्ते ही बाधक बनेंगे।

नदी किनारे घर का शौक, पानी का रास्ता किया बंद

पहले नदी-नालों से दूरे ऊंचे स्थानों पर घर बनाए जाते थे लेकिन धर्मशाला, पालमपुर, मनाली जैसे शहरों में नदी नालों के किनारे घर व दुकानें बनाने का चलन शुरू हुआ है। लोगों ने घरों व रास्तों के निर्माण के दौरान पुरानी नालियों व कूहलों तक का प्रवाह रोक दिया है।

नगर नियोजन व निकाय फिर भी अनियोजित निर्माण

प्रमुख शहरों व कस्बों में निर्माण की जिम्मेदारी नगर नियोजन विभाग व नगर निकायों के पास है। इन विभागों में कई अधिकारी व कर्मचारी हैं। इन पर शहरों को विकसित करने जिम्मेदारी है, लेकिन जिस तरह नदी नालों या ढलानों पर निर्माण हो रहा है वह इन विभागों की पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।

.................................

जिस तरह नदी नालों के किनारे व पहाड़ों में निर्माण कार्य हो रहा है, यह बड़े खतरे को निमंत्रण देने जैसा है। पूरा क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद खतरनाक जोन पांच में आता है। सभी जलस्रोत कभी न कभी तबाही जरूर मचाएंगे। इसके अलावा हमें भूकंप के प्रति भी जागरूक होना होगा।

-डॉ. सुनील धर, भूगर्भ वैज्ञानिक।

-----------------------

नगर निगम क्षेत्र में किसी को अतिक्रमण करने की इजाजत नहीं होगी। कब्जे करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लोग खुद ही कब्जे हटा लें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।

-ओंकार नैहरिया, महापौर नगर निगम धर्मशाला।

-----------------------

लोगों को कूहलों या नदी-नालों पर किया कब्जा छोड़ देना चाहिए। लोगों से आग्रह रहेगा कि नदी नालों के किनारे पर घर व अन्य निर्माण कार्य न करें। जो लोग नदी नालों को रोक रहे हैं, उनके खिलाफ जल्द अभियान भी छेड़ा जाएगा।

-पूनम बाली, मेयर, नगर निगम, पालमपुर।

---------------

पालमपुर या बीड़ क्षेत्र में नदी, नालों या खड्डों के किनारे गलत ढंग से निर्माण कार्य करने की जानकारी विभाग के पास पहुंची है। उसी समय ऐसे लोगों पर कार्रवाई हुई है।

- रोहित भारद्वाज, सहायक नगर नियोजन अधिकारी, पालमपुर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.