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सुक्खू ने मुख्यमंत्री पर साधा निशाना, घोषणाओं से काम नहीं चलेगा सुविधाएं भी मुहैया करवाएं, टेस्ट रिपोर्ट में देरी पर भी उठाए सवाल

Himachal Covid Situation कांग्रेस विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कोरोना से निपटने की लचर रणनीति को लेकर सीधे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि घोषणाओं से काम नहीं चलेगा। जिन 5000 बेड की व्यवस्था करने की बात आप कह रहे हैं

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 02:32 PM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 02:32 PM (IST)
सुक्खू ने मुख्यमंत्री पर साधा निशाना, घोषणाओं से काम नहीं चलेगा सुविधाएं भी मुहैया करवाएं, टेस्ट रिपोर्ट में देरी पर भी उठाए सवाल
कांग्रेस विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू

शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Covid Situation, कांग्रेस विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कोरोना से निपटने की लचर रणनीति को लेकर सीधे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि घोषणाओं से काम नहीं चलेगा। जिन 5000 बेड की व्यवस्था करने की बात आप कह रहे हैं, बताएं उनमें से कितने ऑक्सीजन युक्त हैं। कितने डॉक्टर इन पर नियुक्त किये गए हैं। कौन उनका इंचार्ज है, उनके नंबर क्या हैं, सारी जानकारी सार्वजनिक की जाए। कोविड मरीजों के उचित उपचार के लिए कितना पैरा मेडिकल स्टाफ नए बेड के साथ लगाया गया है।

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उसकी भी जानकारी सार्वजनिक करें, चूंकि प्रदेश के कोविड अस्पतालों में सबसे अधिक कमी पैरा मेडिकल स्टाफ की ही है। इस कमी को दूर करने के लिए नई भर्ती की जाए। भर्ती चाहे अस्थायी तौर पर क्यों न हो, लेकिन करें। चूंकि, डॉक्टर्स के साथ पैरा मेडिकल स्टाफ की सबसे अधिक जरूरत है।

उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री यह भी बताएं कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट चार-चार दिन बाद क्यों आ रही है। इसका क्या कारण है। क्या कोविड टेस्ट मशीन को चलाने के लिए भी पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं है। मुख्यमंत्री इस पर भी ध्यान दें, क्योंकि टेस्ट रिपोर्ट समय पर न आने से लोग परेशान हो रहे हैं।

सुक्खू ने कहा, सरकार की कथनी व करनी में काफी अंतर है। कागजों में लिए जा रहे निर्णय धरातल पर देरी से उतारे जा रहे हैं। बिगड़ते हालात पर काबू पाने में सरकार अब तक विफल रही है। कोविड अस्पतालों में मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। उनकी सुध नहीं ली जा रही। सरकार में बैठे लोग कोरोना महामारी को सरकारी चश्मा उतारकर जनता के चश्मे से देखें, फिर वास्तविकता का पता चलेगा। बार-बार आगाह करने के बावजूद सरकार जमीनी सच्चाई से नजर चुरा रही है।

उन्होंने सुझाव दिया कि हर जिले में कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए वॉर रूम की स्थापना की जाए। संबंधित जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित हो जो वॉर रूम का संचालन करे। संबंधित जिले का सिविल सर्जन इस कमेटी का अनिवार्य रूप से सदस्य हो। 24 घंटे एक वरिष्ठ अधिकारी वॉर रूम में जरूर ड्यूटी पर रहे।

वॉर रूम के पास अस्पतालों में खाली बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों का पूरा डाटा हो। आने वाले दिनों में कोरोना के इलाज के लिये अस्थायी अस्पताल की जरूरत पड़ने पर अभी से स्थान चिन्हित किए जाएं। वार रूम के टेलीफोन और मोबाइल नंबर समाचार पत्रों के माध्यम से आम जनता की जानकारी में लाये जाएं। हेल्पलाइन ऐसी हो जिस पर संपर्क करने के बाद मरीज को बेड, ऑक्सीजन, दवाएं आदि हर हाल में मिल सकें।


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