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नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस और भाजपा की नजर

नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी इस बार ओपन रही है। पिछले कई सालों से ज्वालामुखी नगर परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देख रहे लोगों के लिए यह सुनहरी मौका है। भाजपा और कांग्रेस में कुर्सी हथियाने के लिए होड़ मच गई है।

By Richa RanaEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 09:39 AM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 09:39 AM (IST)
नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस और भाजपा की नजर
नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी इस बार ओपन रही है।

ज्वालामुखी, करुणेश शर्मा। नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी इस बार ओपन रही है। इसलिए पिछले कई सालों से ज्वालामुखी नगर परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देख रहे लोगों के लिए यह सुनहरी मौका है कि वे इस कुर्सी पर काबिज होकर शहर के नंबर वन व्यक्ति बन सकते हैं।

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इस हॉट सीट को हथियाने के लिए भाजपा और कांग्रेस में भी कुर्सी हथियाने के लिए होड़ मच गई है। दोनों ही दलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चेहरों की तलाश शुरू हो गई है। कई सियासी दिग्गजों ने अपने राजनीतिक बिसात बिछाने शुरू कर दी है और प्रदेश की अमीर नगर परिषदों में से एक नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करके पार्टी का झंडा बुलंद करने के लिए दोनों ही पार्टियों में अंदर खाते युद्ध छिड़ गया है।

इस बार मतदाता कुछ अलग करने की फिराक में नजर आ रहा है। मौजूदा नगर पार्षदों से क्षेत्र की जनता ज्यादा खुश नहीं है, क्योंकि कई महत्वकांक्षी योजनाएं इन 5 सालों में धरातल पर नजर नहीं आई है। नगर पार्षदों के आपसी सामंजस्य ना बिठा पाने और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक मत ना हो पाने की वजह से जहां नगर परिषद की करोड़ों रुपए की योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई है। वहीं क्षेत्र की जनता को मिलने वाले लाभ से भी वंचित होना पड़ा है क्षेत्र के कई विकास कार्य जनता के सपने ही बनकर रह गए हैं। जिससे मौजूदा नगर पार्षदों को जनता के दरबार में जाने पर काफी मेहनत करनी पड़ेगी उन्हें दोबारा से लोगों का विश्वास जीतना होगा तभी लोगों ने अपना कीमती वोट देंगे।

हालांकि ज्वालामुखी भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का दावा किया है कि इस बार नगर परिषद ज्वालामुखी में भगवा लहराएगा। वही कांग्रेस पार्टी भी कांग्रेस का गढ़ इस सीट पर इस बार भी कब्जा कायम रखने का तानावाना बुन रही है। देखना यह है कि कौन बाजी मार लेता है परंतु अध्यक्ष की कुर्सी ओपन होने से इस बार नजारा कुछ अलग ही देखने को मिल सकता है।


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