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वायु प्रदूषण कम करने के लिए स्वच्छ ईंधन नीति जल्द : सीएम

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हिमाचल प्रदेश में शीघ्र ही स्वच्छ ईंधन नीति लाई जाएगी। वायु प्रदूषण सबसे बड़ी चिंता बनी है। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला स्थित पीटरहाफ में सुदृढ़ हिमालय सुरक्षित भारतÓ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-2021 के दौरान कही।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Sat, 18 Dec 2021 10:16 PM (IST)Updated: Sat, 18 Dec 2021 11:50 PM (IST)
वायु प्रदूषण कम करने के लिए स्वच्छ ईंधन नीति जल्द : सीएम
हिमालय सुरक्षित भारत जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जर्मनी के राजदूत व अन्य। जागरण

शिमला,राज्य ब्यूरो। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हिमाचल प्रदेश में शीघ्र ही स्वच्छ ईंधन नीति लाई जाएगी। वायु प्रदूषण सबसे बड़ी चिंता बनी है। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला स्थित पीटरहाफ में 'सुदृढ़ हिमालय, सुरक्षित भारत जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-2021 के दौरान कही। शनिवार को इस दो दिवसीय सम्मेलन का पहला दिन था। सम्मेलन में विश्व के करीब 50 पर्यावरण विशेषज्ञ विचार रखेंगे।

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जयराम ने कहा कि स्वच्छ ईंधन नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग के साथ पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले वाहनों के प्रयोग पर बल दिया जाएगा। प्रगति और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाकर ही जलवायु परिर्वतन से संबंधित चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है। हिमाचल सरकार ङ्क्षसचाई सुविधाओं को मजबूत करने, कृषि उत्पादन बढ़ाने, सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार, आर्थिक सुरक्षा और ग्रामीण बुनियादी ढांचे जैसे पर्यावरणीय स्थिरता, जलवायु परिर्वतन अनुकूलन और दीर्घकालिक सामुदायिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रीय कर रही है। पिघलते ग्लेशियर पूरे विश्व के लिए ङ्क्षचता का विषय हैं और इस दिशा में शोध के साथ-साथ तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। सम्मेलन के दौरान सभी पर्यावरणविदों ने कहा कि पर्यावरण को बचाओ प्रदूषण को कम करो तभी हम बच सकते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन व डिजाजस्ट रिस्क रिडक्शन यानी डीआरआर पर नालेज नेटवर्क के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना भाग-2 और हिमाचल प्रदेश में सीएएफआरआई कार्यक्रम भी लांच किया। उत्तर पश्चिम हिमालय में जलवायु जोखिम और प्रभाव व हिमालय में हिमनद झील का प्रकोप बाढ़ पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।

जर्मनी के राजदूत बोले, ङ्क्षहदी सीख रहा हूं

जर्मनी के राजदूत वाल्टरजे ङ्क्षलडर ने ङ्क्षहदी में नमस्कार किया तो तालियां बजने लगी। इसके बाद उन्होंने कहा कि मुझे ङ्क्षहदी बहुत अच्छे से नहीं आती है और अभी सीख रहा हूं। एक दिन मेरी ङ्क्षहदी बहुत अच्छी होगी। इसके बाद उन्होंने अपनी बात को अंग्रेजी में रखा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व में कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। जर्मनी पर्यावरण संरक्षण को आम लोगों तक पहुंचाने और उन्हें इसके संबंध में जागरूक करने के लिए संसाधनों को उपलब्ध करवाने के साथ वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवा रहा है।

पृथ्वी का बढ़ता तापमान ङ्क्षचता का विषय : डा. गुप्ता

वरिष्ठ सलाहकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भारत सरकार डा. अखिलेश गुप्ता ने कहा कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान ङ्क्षचता का विषय है। यह विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने बहु जोखिम चेतावनी प्रणाली तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत : किशोर

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के महानिदेशक कमल किशोर ने आपदा प्रबंध के लिए हर संभव सहायता की बात करते हुए कहा कि एनडीआरएफ का इंतजार करने की अपेक्षा एसडीआरएफ को मजबूत करने और स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने से आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। हर गांव स्तर पर लोगों को आपदा से निपटने के लिए तैयार करने की जरूरत है। पैसा हम देंगे। जियोटेङ्क्षगग के साथ ऐसे पुल तैयार हों जो ध्वस्त न हो सके।

नया प्रोजेक्ट कैपरी लांच

दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान नया प्रोजेक्ट कैपरी यानी ग्रामीण भारत में जलवायु अनुकूलन और वित्त लांच किया गया। इसे हिमाचल और उत्तर प्रदेश के लिए जर्मनी की एजेंसी जीआइजेड द्वारा शुरू किया गया है। इसमें लोगों को जलवायु परिवर्तन का कृषि फसलों पर होने वाला प्रभाव और उसके साथ आम जीवन पर होने वाले प्रभाव के संबंध में भी बताया जाएगा। जर्मनी के राजदूत ने शिमला के पास जुब्बड़हट्टी के लोगों से मुलाकात की और जलवायु परिवर्तन और फसलों को लेकर उसने बात की।


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