झाड़ियों में गल-सड़ रहा बच्चों का बचपन
नगर निकाय चुनाव नजदीक आते ही प्रत्याशियों की सही से जांच पर
प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी
नगर निकाय चुनाव नजदीक आते ही प्रत्याशियों की सही से जांच परख शुरू हो गई है। शहर के लोग कुछ पुराने मुद्दों पर नगर परिषद द्वारा ढुलमुल रवैये से तंग आकर अब उनसे जवाब तलब कर रहे हैं। निवर्तमान पार्षदों समेत नए उम्मीदवारों से भी विकास के कार्यों पर सवाल पूछे जा रहे हैं। बेशक चुनावी बेला में ज्वालामुखी में उम्मीदवार शहर के विकास के बड़े-बडे़ दावे कर रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि यहां के सात वार्डों में कहीं पर भी बच्चों के खेलने के लिए पार्क नहीं बन पाया है। पिछले 25 साल से अधिक समय से नगर परिषद ने न तो इसे जरूरी समझा न ही कोई प्रयास किए।
शहर के ही एक समाजसेवी ने बच्चों के पार्क के लिए लगभग तीन दशक पहले जमीन दान दी थी, लेकिन कुछ समय तक वहां पार्क स्थापित करने के बाद वहां से हटा दिया गया। मौजूदा समय में इस पार्क के स्थान पर टैक्सी स्टैंड बनाया गया है। पार्क का सामान जिसमें बच्चों के खेलने के लिए कई तरह के उपकरण लगाए गए थे, संस्कृत कॉलेज ज्वालामुखी के पीछे गल-सड़ रहे हैं। इनको नगर निकाय ने न तो सही स्थान पर लगाया न ही इनकी देखभाल की। झाड़ियों में रखे झूले 70 प्रतिशत तक गल-सड़ चुके हैं। लोगों का तर्क है कि जनप्रतिनिधि बताएं कि शहर में कौन सी ऐसी जगह स्थापित की जहां बच्चों का मनोरंजन हो सके या बड़े-बूढ़े घर के बाहर थोड़ा टहल सकें।
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अभी तक नगर परिषद में बच्चों के पार्क आदि नहीं बन पाए हैं। इस मुद्दे को बैठकों में उठाया था। शहर में चार से पांच पार्क बनाने के लिए स्वीकृति मिली है।
-सुखविंदर सिंह
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जमीनी विवादों तथा कई अन्य कारणों से पार्क नहीं बन पाए। हमने भरपूर कोशिश की है। शहर के कई स्थानों में पार्क के लिए बजट मंजूर भी हो चुका है। शीघ्र पार्क बनेंगे।
-भावना सूद, निवर्तमान अध्यक्ष नगर परिषद ज्वालामुखी
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कई साल पहले टैक्सी स्टैंड की जगह पार्क देखा था। शहर के बच्चे यहां खूब मनोरंजन करते थे। जन प्रतिनिधियों में इच्छाशक्ति की कमी से आज यह हाल हैं।
-राजिदर शर्मा
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मूलभूत जरूरतें पूरी न हो पाना दु:खद है। पार्क बनने से बच्चों को खेलने व बुजुर्गों के लिए भी सुबह शाम टहलने के लिए सुविधा होनी थी। चुने लोगों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
-शुभम कपूर
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बच्चों के खेलने का सामान खुले में सड़ रहा है। इतने साल में जो भी निकाय बने उनकी कार्य कुशलता का यह जीता जागता उदाहरण है। कम से कम पार्क के सामान को संभाल लेते तो इसे भी उपलब्धि मानते।
-संजीव भाटिया
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केवल वर्तमान नगर निकाय ही नहीं बल्कि पहले के जनप्रतिनिधि भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। अब चुनाव के समय फिर वादे होंगे, परंतु धरातल पर कुछ नहीं होगा।
-कृष्ण स्वरूप
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जो कई वर्षों में नहीं हो पाया उसे आने वाली नगर परिषद करे तो भी सुखद होगा। पार्क के निर्माण को लेकर अब कदम उठने की जरूरत है।
-पूनम शर्मा
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पुराना पार्क कहां था तथा इसका सामान कहां सड़ रहा है इसकी जानकारी मुझे नहीं है। हमारी कोशिश है कि हर वार्ड में छोटे पार्क बनाएं तथा शहर में एक बड़ा पार्क भी स्थापित करेंगे। इसके लिए जगह चिन्हित की गई है।
-कंचन बाला, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद ज्वालामुखी