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गुग्‍गा नवमी पर मंदिरों में रख दिए छत्र, चलाली में झंडा रस्‍म के बाद लोगों में बांटा गया प्रसाद

Gugga Chatra Yatra गुग्‍गा नवमी के उपल्क्षय में गुग्गा जाहिर पीर के मंदिरों में सुबह से ही भक्‍तों ने हाजरी लगाना शुरू कर दिया था। आज गुग्गा जाहिर पीर की डोहरु मंडलियां वापस छत्र को मंदिर में रख देंगी। यह छत्र रक्षाबंधन वाले दिन उठाया जाता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 01:47 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 01:47 PM (IST)
गुग्‍गा नवमी पर मंदिरों में रख दिए छत्र, चलाली में झंडा रस्‍म के बाद लोगों में बांटा गया प्रसाद
गुग्‍गा नवमी के उपल्क्षय में गुग्गा जाहिर पीर के मंदिरों में सुबह ही भक्‍तों ने हाजरी लगाना शुरू कर दिया।

भरवाईं, संजीव ठाकुर। Gugga Chatra Yatra, गुग्‍गा नवमी के उपल्क्षय में गुग्गा जाहिर पीर के मंदिरों में सुबह से ही भक्‍तों ने हाजरी लगाना शुरू कर दिया था। आज गुग्गा जाहिर पीर की डोहरु मंडलियां वापस छत्र को मंदिर में रख देंगी। यह छत्र रक्षाबंधन वाले दिन उठाया जाता है। वही यह मंडलियां गायन करती हुई बाबा जी की कथा घर घर सुनाती हैं। वहीं आज वापसी पर यह छत्र चढ़ा कर बाबा जी को विदाई दी जाती है। पुजारी लोग मंदिरों में झंडा चढ़ा कर बाबा जी का प्रसाद मंदिर में आए भक्‍तों को बांटते हैं। कहा जाता है बाबा जी के दरबार में जो भी सच्चे मन से कुछ मन्नत मांगता है, वह पूरी होती है।

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यह भी कहा जाता है की बाबा जी के दरबार में वो लोग जिनको सांप ने डसा हो वह भी ठीक होकर यहां से जाते हैं। हालांकि यह सिर्फ कुछ लोगों की मान्‍यता है। लोगों में यह भी मान्‍यता व विश्‍वास है कि बाबा जहर को उतार देते हैं, इसलिए इनको जाहिर पीर कहा जाता है।

कहा जाता है माता बाछला द्वारा देश निकाला देने पर बाबा जी चले गए थे। बस इन नौ दिनों में ही बाबा अपने भक्‍तों को दर्शन देते हैं व उसके बाद वह वापस चले जाते हैं। चलाली पंचायत के भड़ियाली गांव में बाबा के मंदिर में सुबह भजन कीर्तन किया गया, जिसमें बाबा के गूरों ने पूजा अर्चना कर मंदिर में झंडा चढ़ाया। उसके बाद मंदिर में आए भक्‍तों को हलवा व रोट का प्रसाद बांटा गया।

पुजारी राजेश कुमार ने बताया हर वर्ष रक्षाबंधन पर बाबाजी के भक्‍त छत्र उठाते हैं और घर घर जाकर बाबा का गुणगान करते हुए ओरा लेते हैं। गुग्गा नवमी में वापस बाबा के छत्र को मंदिर में रख दिया जाता है। इसके साथ ही बाबा को विदाई दी जाती है।


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