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Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्र में कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त 5:45 बजे से, 90 साल बाद बन रहा यह संयोग

Chaitra Navratri 2021 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिंदू वर्ष की प्रथम तिथि है। यह तिथि धार्मिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस वर्ष 13 अप्रैल को यह तिथि आ रही है और इसी दिन हिंदू नववर्ष 2078 प्रारंभ हो रहा है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 08:53 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 08:53 AM (IST)
Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्र में कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त 5:45 बजे से, 90 साल बाद बन रहा यह संयोग
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिंदू वर्ष की प्रथम तिथि है।

धमेटा, संवाद सहयोगी। Chaitra Navratri 2021, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिंदू वर्ष की प्रथम तिथि है। यह तिथि धार्मिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस वर्ष 13 अप्रैल को यह तिथि आ रही है और इसी दिन हिंदू नववर्ष 2078 प्रारंभ हो रहा है। हिंदू नववर्ष को विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है। 13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रहे नवसंवत्सर के दिन दो बजकर 32 मिनट में सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। यह विचित्र स्थिति 90 वर्षों से अधिक समय के बाद हो रही है।

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बडूखर के नामी पंडित राजिंद्र शास्त्री ने बताया भारतवर्ष में ऋतु परिवर्तन के साथ ही हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। चैत्र माह में शीत ऋतु को विदा करते हुए और बसंत ऋतु के सुहावने परिवेश के साथ नववर्ष आता है। यह दिवस भारतीय इतिहास में कई कारणों से महत्वपूर्ण है। पुराण ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही त्रिदेवों में से एक ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी, इसीलिए हिंदू-समाज भारतीय नववर्ष का पहला दिन अत्यंत हर्षोल्लास से मनाते हैं।

राजा व मंत्री दोनों मंगल हैं। वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं भौम देव संभाले हुए है। इस संवत्सर वर्ष में विद्वता, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा।

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को सुबह आठ बजे से शुरू होकर 13 अप्रैल को प्रातः 10: 16 पर समाप्त हो रही है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल को सुबह 5:45 बजे से प्रातः 9:59 तक है और अभिजीत मुहूर्त पूर्वाह्न 11: 41 से 12:32 तक है। प्रथम नवरात्रि में मां शैलपुत्री, द्वितीय में मां ब्रहाचारिणी, तृतीय में मां चंद्रघण्टा, चतुर्थ में कूष्माण्डा, पंचम में मां स्कंदमाता, षष्ठ में मां कात्यायनी, सप्तम में मां कालरात्री, अष्टम में मां महागौरी, नवम् में मां सिद्विदात्री का पूजन किया जाता है। नवरात्रों पर माता की पूजा करने से पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है।


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