केंद्रीय जल आयोग भी रख रहा पारछू पर नजर, पांच निगरानी केंद्र स्थापित, 2005 में झील टूटने से मची थी तबाही
Parchu River केंद्रीय जल आयोग भी चीन से निकलने वाली पारछू नदी पर नजर रख रहा है। आयोग सतलुज बेसिन में पांच निगरानी केंद्रों में जलस्तर को मापता है। उत्तराखंड ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद से सतलुज पर अब नए सिरे से नजर रखी जा रही है।
शिमला, जेएनएन। केंद्रीय जल आयोग भी चीन से निकलने वाली पारछू नदी पर नजर रख रहा है। आयोग सतलुज बेसिन में पांच निगरानी केंद्रों में जलस्तर को मापता है। यह कार्य हर साल जून से अक्टूबर तक होता है, लेकिन उत्तराखंड के जोशीमठ के नजदीक ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद से सतलुज पर अब नए सिरे से नजर रखी जा रही है। खासकर शलखर साइट पर स्पीति और पारछू के जलस्तर की निगरानी का कार्य हो रहा है। पहले यह निगरानी केंद्र समदो में था, लेकिन वहां का डाटा लॉक होने के कारण आयोग के मुख्यालय तक नहीं आ पा रहा है। तकनीक में भी बदलाव किया जा रहा है, ताकि समदो को भी नया सेंटर बनाया जा सके। समदो से करीब 18-19 किलोमीटर दूरी पर चीन के तिब्बत की सीमाएं आरंभ हो जाती है।
2005 में चीन की पारछू झील टूट गई थी। इससे पारछू नदी और फिर सतलुज में भारी तबाही हुई थी। लोग आज भी तबाही का मंजर देखकर सिहर उठते हैं। समदो में जहां पारछू स्पीति नदी में मिलती है, वहां आज भी तबाही के निशान मौजूद है।
सतलुज नदी के पानी के उतार-चढ़ाव पर नजर
निदेशक केंद्रीय जल आयोग शिमला पीयूष रंजन का कहना है सतलुज के जलस्तर की हर साल निगरानी होती है। इस बेसिन पर पांच निगरानी केंद्र स्थापित किए हैं। उत्तराखंड में आई आपदा चिंताजनक है। हिमाचल की प्रमुख नदी सतलुज के पानी के उतार- चढ़ाव की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जा रही है।
ग्लेशियर टूटा तो होगा भारी नुकसान
एक्सईएन केंद्रीय जल आयो सोमेश कुमार का कहना है समदो की बजाय अब शलखर से स्पीति और पारछू की निगरानी की जा रही है। दो दशक में नदी घाटी में कोई बड़ा बदलाव नहीं मिला है। अगर ग्लेशियर ही टूट जाए तो नुकसान काफी ज्यादा होने की आशंका रहती है।
सीमा पार निर्माण कार्य
हिमाचल की चीन से सटी सीमा के उस पार तिब्बत क्षेत्र में सड़कों, आधारभूत ढांचे का निर्माण हो रहा है। इसमें 2012 के बाद से काफी तेजी आई है। सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज को सैटेलाइट तस्वीरों के अध्ययन से इसका पता चला है। इसकी पिछले साल राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी गई थी। हालांकि यह निर्माण चीन की सीमा के अंदर है। गौरतलब है कि पिछले साल समदो में चीन के हेलिकॉप्टर ने भी सेंध लगाई थी।