केंद्रीय करों से हिमाचल को एक फीसद कम मिलेगा हिस्सा, राजस्व घाटा अनुदान में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी
केंद्रीय करों में हिमाचल की हिस्सेदारी अब कम हो जाएगी। 15वें वित्तायोग के तहत केंद्रीय करों में हिमाचल को अब 41 फीसद हिस्सेदारी मिलेगी।
शिमला, जेएनएन। केंद्रीय करों में हिमाचल की हिस्सेदारी अब कम हो जाएगी। 15वें वित्तायोग के तहत केंद्रीय करों में हिमाचल को अब 41 फीसद हिस्सेदारी मिलेगी। 14वें वित्तायोग में यह 42 फीसद थी। अगले वित्त वर्ष के दौरान प्रदेश सरकार को 6833 करोड़ रुपये कर के रूप में प्राप्त होंगे। यह राशि पिछले वर्ष की तुलना में एक प्रतिशत कम हुई है। केंद्रीय करों में राज्य को मिलने वाली राशि 0.33 प्रतिशत है जो कि एक प्रतिशत से नीचे है। पिछले वित्तायोग में राशि 0.03 प्रतिशत थी।
वहीं, 15वें वित्तायोग ने राज्य सरकार को राजस्व घाटा अनुदान में 45 प्रतिशत की वृद्धि प्रदान कर बड़ी राहत दी है। अगले वित्त वर्ष के लिए राजस्व घाटा अनुदान 11431 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है। पंचायती राज संस्थाओं को 429 करोड़ रुपये ग्रांट और शहरी निकायों को 207 करोड़ रुपये की ग्रांट मिलेगी। वित्तायोग ने एक वर्ष के लिए करों की हिस्सेदारी और राजस्व घाटा अनुदान का निर्धारण किया है। राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय करों के एकत्रीकरण में कमी होने का असर प्रदेश को मिलने वाले करों पर भी पड़ा है।
बताया जा रहा है हिमाचल का एक फीसद हिस्सा नए केंद्र शासित प्रदेश बने लेह लद्दाख के लिए जारी किया गया है। जम्मू कश्मीर से अलग कर बनाए गए नए केंद्रीय शासित प्रदेश के विकास को केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरजीह दे रही है। इस कारण पहाड़ी राज्यों की हिस्सेदारी में उलट फेर किया गया है। हालांकि 15वें वित्तायोग से राजस्व घाटा अनुदान बढ़ाकर एक तरह से सरकार ने राहत भी दी है।
पंचायती राज संस्थाओं को 429 करोड़ मिलेंगे
अगले वित्त वर्ष के दौरान पंचायती राज संस्थाओं को 429 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। शहरी स्थानीय निकायों को 207 करोड़ रुपये की ग्रांट प्राप्त होगी। दोनों स्तरों पर यह राशि 0.71 प्रतिशत रहेगी। आने वाले वर्ष के दौरान राजस्व घाटा अनुदान के तहत 11431 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।