हिमाचल में अब कैंसर समेत इन गंभीर बीमारियों की दवाएं भी मिलेंगी मुफ्त; पढ़ें पूरी खबर
Cancer and Heart attack medicine कैंसर हृदयाघात मधुमेह सहित अन्य बीमारियों की दवाएं भी अब मुफ्त उपलब्ध करवाई जाएंगी।
शिमला, जेएनएन। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में आए दिन मरीज डॉक्टरों को ढूंढते नजर आते हैं। दवा काउंटर के बाहर कतारों में लंबा इंतजार करने के बाद कई बार दवा नहीं मिल पाती है। अस्पताल के वार्डों में एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज चल रहा होता है। इन सभी बातों पर आइजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज से बातचीत की। उन्होंने कहा कैंसर, हृदयाघात, मधुमेह सहित अन्य बीमारियों की दवाएं भी अब मुफ्त उपलब्ध करवाई जाएंगी। सरकार जल्द ही आवश्यक दवा सूची में नई दवाएं शामिल करेगी। कई बार मरीज बढऩे व बेड कम होने के कारण एक बेड पर दो मरीजों को रखना पड़ता है। इसके अलावा सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए अस्पताल प्रशासन प्रयासरत है। डॉक्टरों सहित पैरा मेडिकल स्टाफ ओवरटाइम ड्यूटी भी देता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश
महंगी दवा लेने वाले मरीजों के लिए क्या योजना है?
सरकार की ओर से लंबी व गंभीर बीमारी की हैवी डोज व महंगी दवा लेने वाले मरीजों के लिए योजना बनाई जा रही है। कैंसर, हृदयाघात, मधुमेह सहित अन्य बीमारियों की दवाएं भी अब मुफ्त उपलब्ध करवाई जाएंगी। सरकार जल्द ही आवश्यक दवा सूची में नई दवाएं शामिल करेगी। अब ये दवाएं आइजीएमसी में मरीज मुफ्त में ले सकेंगे।
एक बेड पर दो मरीजों को रखने की क्यों नौबत आती है?
प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान होने की वजह से आइजीएमसी में रोजाना चार हजार से अधिक लोग इलाज करवाने पहुंचते हैं। करीब 1000 मरीज वार्डों में दाखिल रहते हैं। अस्पताल में करीब 850 बेड हैं। जगह की कमी के कारण कई बार एक बेड पर दो मरीज रहते हैं।
मरीजों व तीमारदारों को अस्पताल में भटकना न पड़े, इसके लिए क्या व्यवस्था है?
अस्पताल में इलाज की सुनियोजित प्रणाली बनाई गई है। डॉक्टर ओपीडी में चेकअप के साथ ऑपरेशन थियेटर में ड्यूटी देते हैं। कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टरों को भी पढ़ाते हैं और कई प्रशासनिक कार्यों में भी व्यस्त रहते हैं। ऐसे में डॉक्टर पर्ची पर लिखे गए दिनों के आधार पर ही मरीजों को चेक करते हैं। आइजीएमसी में अधिकांश मरीज पर्ची पर लिखी तारीख के बजाय अन्य दिन ओपीडी पहुंचते हैं। इससे भीड़ बढ़ती है और मरीज भी परेशान रहते हैं।
असहाय लोगों के इलाज के लिए क्या प्रावधान है?
असहाय लोगों के इलाज के लिए अस्पताल में पूअर पेशेंट ट्रीटमेंट फंड की सुविधा है। इसमें स्थानीय लोग, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं मरीजों के इलाज के लिए डोनेशन देती हैं। इस साल अभी तक 84 बेसहारा और असहाय लोगों का इलाज किया गया है। इसमें करीब 3 लाख 26 हजार 295 रुपये की राशि खर्च की गई है।
कई बार मरीजों को फ्री दवाएं नहीं मिल पाती हैं, इसके क्या कारण हैं?
सरकार की ओर से जारी आवश्यक दवा सूची के तहत अस्पताल में 370 दवाएं मुफ्त मिलती हैं। ये दवाएं अस्पताल के 50 नंबर काउंटर और सेंट्रल ड्रग स्टोर में मिलती हैं। इसमें टैबलेट, इंजेक्शन और ग्लूकोज सहित अन्य दवाएं शामिल हैं। यह केवल वही दवाएं हैं जोकि सामान्य बीमारियों में काम आती हैं। गंभीर बीमारियों की दवाएं मरीजों को अस्पताल के अन्य मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध करवाई जा रही हैं। जहां होलसेल रेट पर दवाएं मुहैया करवाई जा रही हैं।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
अस्पताल में सरकार की ओर से चलाई जा रही सभी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत मरीजों को बेहतर इलाज देने की कोशिश की जा रही है। मरीजों को पौष्टिक भोजन, शुद्ध पानी और बेहतर वातावरण प्रदान किया जाता है। भोजन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट तैयार किया गया है। प्रशिक्षित डायटिशियन और प्रशासन की निगरानी में मरीजों को खाना परोसा जाता है।