कमाई के फेर में जिंदगी से खेल
मुनीष गारिया धर्मशाला जिला मंडी के सुंदरनगर क्षेत्र में जहरीली शराब के सेवन से सात लोगों की मौत हुई है। ऐसे में कांगड़ा जिले में भी पुलिस की अनदेखी किसी अनहोनी का कारण बन सकती है। पुलिस की सख्ती के बाद भी कच्ची शराब बनती और बिकती है। गुप्त रूप से शराब का अवैध कारोबार किया जा रहा है। वैसे तो कच्ची शराब जिले के हर गांव में बनाई जाती है लेकिन चिंतनीय यह है कि उपमंडल इंदौरा कच्ची शराब बनाने व बेचने का अड्डा बन चुका है। पुलिस लगातार छापामारी कर शराब पकड़ रही है। बावजूद तस्करों का हौसला टूटता नजर नहीं आ रहा है। पुलिस उपमंडल इंदौरा में दबिश देकर आए दिन लाखों मिलीलीटर कच्ची शराब नष्ट करती है लेकिन माफिया रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसका कारण यह है कि इस काले कारोबार को शुरू करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती है। एक खाली ड्रम गुड़ स्प्रिट और भट्ठी की जरूरत होती है।
मुनीष गारिया, धर्मशाला
जिला मंडी के सुंदरनगर क्षेत्र में जहरीली शराब के सेवन से सात लोगों की मौत हुई है। ऐसे में कांगड़ा जिले में भी पुलिस की अनदेखी किसी अनहोनी का कारण बन सकती है। पुलिस की सख्ती के बाद भी कच्ची शराब बनती और बिकती है। गुप्त रूप से शराब का अवैध कारोबार किया जा रहा है। वैसे तो कच्ची शराब जिले के हर गांव में बनाई जाती है, लेकिन चिंतनीय यह है कि उपमंडल इंदौरा कच्ची शराब बनाने व बेचने का अड्डा बन चुका है। पुलिस लगातार छापामारी कर शराब पकड़ रही है। बावजूद तस्करों का हौसला टूटता नजर नहीं आ रहा है। पुलिस उपमंडल इंदौरा में दबिश देकर आए दिन लाखों मिलीलीटर कच्ची शराब नष्ट करती है, लेकिन माफिया रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसका कारण यह है कि इस काले कारोबार को शुरू करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती है। एक खाली ड्रम, गुड़, स्प्रिट और भट्ठी की जरूरत होती है।
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खेतों में छुपाई जाती है शराब की सामग्री
शराब माफिया ने पुलिस को गच्चा देने के लिए नया तरीका ईजाद कर लिया है। यह लोग गुड़, स्प्रिट व दवा के मिश्रण को प्लास्टिक के लिफाफों में डालकर जमीन में दबा देते हैं। इसके अलावा शराब बनाने के लिए भट्ठियां भी खेतों में ही लगाते हैं।
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ऐसे तैयार होती है कच्ची शराब
एक बड़े ड्रम में स्प्रिट, गुड़ और शराब बनाने वाली दवा डाली जाती है। इसमें पानी डालकर मिश्रण को कम से कम एक सप्ताह तक सड़ाया जाता है। सड़ने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाए, इसके लिए सामग्री में यूरिया खाद भी डाल दी जाती है। यूरिया डालने से यह मिश्रण दो से तीन दिन पहले तैयार हो जाता है। इसके बाद भट्ठी के ऊपर करीब 300 लीटर के ड्रम में यह सड़ी हुई सामग्री डाली जाती है। ड्रम के ऊपर पानी का भरा हुआ बर्तन रख दिया जाता है। सड़ी हुई सामग्री से निकलने वाली भाप को बाहर निकलने के लिए पाइप लगाई होती है। पाइप से पानी के रूप में निकलने वाला द्रव्य ही कच्ची शराब होती है।
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300 लीटर के ड्रम से निकलती है करीब 20 लीटर शराब
ड्रम में 280 से 300 लीटर सामग्री डाली होती है और इससे करीब 20 से 25 लीटर शराब निकलती है। इस शराब की गुणवत्ता का कोई विज्ञानी पैमाना नहीं होता है। यह 20 लीटर शराब इतनी तेज होती है कि माफिया इसमें 40 से 45 लीटर पानी मिलाकर इसे बेचने के लिए तैयार करता है।
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यहां होता है कच्ची शराब का कारोबार
ठाकुरद्वारा, उलेड़ियां, मिलवां, छन्नी बेली, तारा खड्ड इंदौरा, माजरा, भदरोआ, राजा खासा व इंदपुर, बरोटा, टमोटा, डमटाल, तौकी, बाड़ी कंदरोड़ी, बसंतपुर व टांडा।
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पिछले साल पकड़े 94 मामले
कांगड़ा पुलिस ने वर्ष 2021 में शराब बरामदगी के 94 केस दर्ज किए थे। इनमें से कुछ मामले तो अंग्रेजी शराब के भी थे, लेकिन 50 केस कच्ची शराब के थे। चिंतनीय है कि कच्ची शराब के दर्ज 50 मामलों में से 22 अकेले डमटाल थाना के तहत ही दर्ज हुए हैं। इस साल डमटाल थाने में अभी दो केस दर्ज हुए हैं, जबकि जिलेभर में सात मामले दर्ज हुए हैं।
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ब्रांड से छेड़छाड़ कर चलता है खेल
कच्ची शराब के अलावा कांगड़ा जिले में देसी शराब के ब्रांड से छेड़छाड़ कर नकली शराब बेची जाती है। चंडीगढ़ व अन्य क्षेत्रों से नकली शराब माफिया लाता है और मार्का में आंशिक छेड़छाड़ कर सस्ते भाव में बेचता है। इसका प्रमाण वीरवार को संसारपुर टैरेस में स्थित एक शराब कंपनी में मिला है। शराब माफिया ने ब्रांड के मार्का में छेड़छाड़ की थी। सामान्य तौर पर कांगड़ा में देसी शराब संतरा ब्रांड की बोतल 200 रुपये में बिकती है, लेकिन नकली शराब 140-150 रुपये के बीच बिकती है।
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शराब माफिया पर कार्रवाई करने के लिए सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं। स्थानीय लोगों से अपील है कि अगर उनके आसपास कोई शराब का अवैध कारोबार करता है तो उसकी सूचना पुलिस को दें। अब पुलिस शराब माफिया के खिलाफ विशेष अभियान चलाएगी।
-डा. खुशहाल शर्मा, पुलिस अधीक्षक, कांगड़ा।