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सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सीमा पर डटने के बावजूद सुविधाओं को तरस रहे बीएसएफ जवान : संगठन

BSF Personnel पूर्व पैरामिलिट्री कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष मनवीर सिंह ने बताया कि सदस्याें की मांगाें का अभी तक कागजों में सिमटा हुअा है। उन्हाेंने कहा मुख्य मांगाें में पैरामिलिट्री बलों के लिए अलग पैरामिलिट्री सेवा-पेंशन रुल्ज बनाना जिलास्तर में सेना की तर्ज पर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रहीं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 01:22 PM (IST)
सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सीमा पर डटने के बावजूद सुविधाओं को तरस रहे बीएसएफ जवान : संगठन
पूर्व पैरामिलिट्री कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश ने सेना के बराबर सुविधाएं देने की मांग की है।

पालमपुर, जेएनएन। देश की आजादी के बाद पाकिस्तान से सटी सीमाओं की रक्षा, स्टेट आर्म्ड पुलिस, बटालियन का जिम्मा था, 09 अप्रैल 1965 को पाकिस्तान ने धोखे से सरदार चौकी, घार बेंत, बेरिया बेंत इत्यादि चौकियों पर अचानक हमला बाेल दिया। उस समय स्टेट आर्म्ड पुलिस ने सीआरपीएफ बल की मदद से पाकिस्तान के एक ब्रिगेड को सफलतापूर्वक पीछे धकेल दिया। एेसे में महसूस हुआ कि एेसे हमलों का मुकाबला करने में स्टेट आर्म्ड पुलिस सक्षम नहीं है। इसके बाद केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) का 01 दिसंबर 1965 को हुअा। केएफ रुस्तम को पहला महानिदेशक बनाया गया। वर्तमान

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में महानिदेशक की कमान राकेश अस्थाना संभाल रहे है।

पूर्व पैरामिलिट्री कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष मनवीर सिंह ने बताया कि सदस्याें की मांगाें का अभी तक कागजों में सिमटा हुअा है। उन्हाेंने कहा मुख्य मांगाें में पैरामिलिट्री बलों के लिए अलग पैरामिलिट्री सेवा-पेंशन रुल्ज बनाना, जिलास्तर में सेना की तर्ज पर स्वास्थ्य सुविधा, नई पेंशन स्कीम को रद्द कर पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना, सीएसडी की तर्ज पर पैरामिलिट्री कैंटीन में जीएसटी की छूट, पैरामिलिट्री सदस्यों के बच्चों को नौकरी में कोटा अादि शामिल हैं।

कारगिल युद्ध में रही है अहम भूमिका

कारगिल युद्ध में भी प्रभावशाली इलाकों को ध्वस्त करने में सीमा सुरक्षा बल ने सेना का पूर्ण सहयोग दिया था। 1971 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शूरवीराें ने युद्ध में विजय दिलाने में अदम्य साहस का परिचय दिया था। इसमें बल के 125 शूरवीर वीरगति को प्राप्त हुए थे और 392 घायल हुए थे, 133 लापता हुए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने सहायक कमांडेंट बाधवा को मरणोपरांत महावीर चक्र और अनगिनत कीर्ति चक्र, वीर चक्र, शौर्य चक्र व सिविल व पुलिस बहादुरी अवार्ड वितरित किए थे। आइटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, के सभी महानिदेशक आइपीएस अधिकारी डेपुटेशन पर आते हैं। जबकि असम राइफल्स में सेना के वरिष्ठ अधिकारी सेवारत हैं। देश में जब भी आंतरिक सुरक्षा और सरहद की रक्षा की

जरूरत होती है, सभी पैरामिलिट्री बलों के सदस्य सेवाएं देने में हमेशा आगे रहे हैं।


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