रक्षाबंधन के बाद गमले में पौधा बनकर उगेगा भाई-बहन का प्यार, मनाली की संस्था ने बनाई खास राखियां
Rakshabandhan 2020 राधा संस्था ने कागज व मिट्टी के मिश्रण से ऐसी राखी तैयार की है जो सबके लिए प्रेरणा बन गई है। रक्षाबंधन के बाद गमले में दबाने पर इससे पौधा उगेगा।
मनाली, जसवंत ठाकुर। यहां खुशी का कोई भी बहाना हो, मकसद हमेशा पर्यावरण बचाना ही होता है। मनाली की कल्पना ठाकुर की संस्था रक्षाबंधन पर भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने में जुटी है। इनका पर्यावरण प्रेम हमेशा कुछ नई सोच के साथ झलकता है। कल्पना ठाकुर की संस्था राधा रूरल ऐसोसिएशन फॉर डेवेलपमेंट एंड हेल्पफुल एसिस्टेंट की सदस्य कई दिनों से राखी बनाने में जुटी हुई हैं। राधा संस्था ने कागज व मिट्टी के मिश्रण से ऐसी राखी तैयार की है, जो सबके लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने कागज व मिट्टी के अलग-अलग मिश्रण को मेथी, गेंदा, तुलसी के बीज गूंथ कर भाई बहन के प्यार की पवित्र डोर बनाई है। रक्षाबंधन के बाद इस राखी मिट्टी में दबाने पर पौधा उग आएगा।
संस्थान ने इस तरह की राखी बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। राखी हाथ से उतारने के बाद यहां वहां फेंकने की बजाय घर में रखे गमले में ही समा जाएगी। राखी में डाला बीज भाई-बहन के प्यार का पौधा बनकर उभरेगा। संस्था ने अभी शुरुआत की है, लेकिन लोगों में इस राखी को लेकर खासा क्रेज देखने को मिल सकता है। राधा संस्था की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया कारगर कदम है। चीनी सामान का बहिष्कार करने से देश में निर्मित राखी की मांग बढ़ी है।
राधा संस्था के सदस्यों व संचालिका सुदर्शना ठाकुर का कहना है इस बार तो उन्होंने ज्यादातर कपड़े से रंग बिरंगी राखियां तैयार की हैं। अगले साल वे पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर बड़े स्तर पर मिट्टी और कागज की राखी तैयार करेंगे।
पर्यावरण को ध्यान में रखकर किया कुछ अलग प्रयास
राधा संस्था की अध्यक्ष कल्पना का कहना है पहली बार ऐसी राखी बनाने का प्रयास किया है, जो इस्तेमाल होने के बाद गमले में ही मिट्टी बन जाएगी व एक सुंदर पौधा भी देगी। यह खूबसूरत होने के साथ-साथ इको फ्रेंडली भी है। हालांकि इनको बनाने में काफी समय लग रहा है। लेकिन पर्यावरण को ध्यान में रखकर कुछ हटकर करने का प्रयास किया है।
प्लास्टिक कचरे से बनाया सजावट का सामान
राधा संस्था की अध्यक्ष कल्पना ठाकुर अपने तरीके से न केवल प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगा रही हैं, बल्कि इससे होने वाली कमाई से गरीबों की मदद भी कर रही हैं। प्लास्टिक से आभूषण समेत सजावटी सामान तैयार करती हैं। वह 22 साल से इस काम में लगी हैं। 46 वर्षीय कल्पना ठाकुर ठोस कचरा विशेषकर प्लास्टिक को दोबारा उपयोग में लाकर इसकी खूबसूरत कलाकृतियां तैयार करती हैं। वह लोगों को भी इसके इस्तेमाल के लिए जागरूक कर रही हैं। मनाली में इस कला का हर कोई दीवाना है। कल्पना का कहना है कि प्लास्टिक कचरा न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि इसका निस्तारण भी बड़ी समस्या बनता जा रहा है।
हिमाचल एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित
पर्यावरण संरक्षण के लिए कल्पना ठाकुर को 2015 में हिमाचल एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने मनाली में पर्यावरण के लिए एक एनजीओ का भी गठन किया है। वह ग्रामीणों को घर के कचरे को प्रयोग के लिए भी जागरूक करती हैं। कल्पना होटल में वेस्ट मटेरियल से सजावटी सामान बनाती हैं।
शुरुअात में हंसते थे लोग, अब करते हैं तारीफ
23 साल पहले इस संस्था ने प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए इसका समाधान निकालना शुरू किया। संस्था के सदस्यों को जहां भी पॉलीथिन या प्लास्टिक की बोतल मिलती थी, उसे इक्ट्ठा कर लेते थे। कल्पना की पहल पर शुरुअता में तो लोग हंसते थे। लेकिन पर्यावरण प्रेम को देखते हुए पति प्रेम ठाकुर व परिवार के अन्य सदस्यों ने भी साथ देना शुरू किया। लोग संस्था से जुड़ते गए। अब प्लास्टिक बोतल या पॉलीथिन उठाने पर लोग हंसते नहीं है, बल्कि तारीफ करते हैं। -कल्पना ठाकुर, अध्यक्ष, राधा संस्था एवं पर्यावरण प्रेमी, मनाली।