पद्मश्री विद्यानंद सरैक को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने किया सम्मानित
Padmashree Vidyanand Saraik हिमाचल की लोक संस्कृति के संरक्षक एवं सिरमौरी लोक संस्कृति को सहेजने में अमूल्य योगदान देने वाले विद्यानंद सरैक को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने पर प्रदेश भाजपा ने सम्मानित किया। प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने देवठी मझगांव पहुंच कर सम्मानित कर बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
नाहन, जागरण संवाददाता।Padmashree Vidyanand Saraik, हिमाचल की लोक संस्कृति के संरक्षक एवं सिरमौरी लोक संस्कृति को सहेजने में अमूल्य योगदान देने वाले विद्यानंद सरैक को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने पर प्रदेश भाजपा ने सम्मानित किया। प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने शुक्रवार को ग्राम पंचायत देवठी मझगांव पहुंच कर सम्मानित कर बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
सांसद ने कहा कि सरैक ने देवभूमि हिमाचल का नाम पूरे देशभर में रोशन किया है। हमें उन पर पर गर्व है। सुरेश कश्यप ने कहा कि विद्यानंद सरैक कवि, गीतकार, गायक और शिक्षाविद् हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत कई पुरस्कार पूर्व में ही मिल चुके हैं।
26 जुलाई 1941 को जन्मे लोक कलाकार विद्यानंद सरैक ने एक बार फिर न केवल जिला सिरमौर बल्कि हिमाचल प्रदेश का मान भी बढ़ाया है। विद्यानंद सरैक मूलत: सिरमौर जिला के उपमंडल राजगढ़ के देवठी मझगांव के रहने वाले हैं। लोक संस्कृति के संरक्षक विद्यानंद सरैक को इससे पहले राष्ट्रीय संगीत एवं नाट््य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि विद्यानंद सरैक चार वर्ष की उम्र से ही हिमाचली लोक संस्कृति व ट्रेडिशनल फोक म्यूजिक की विभिन्न विधाओं को संजोए हुए देश-विदेश में अनेक मंचों पर हिमाचली संस्कृति की छाप छोड़ चुके हैं।
उन्होंने हिमाचली संस्कृति व लोक विद्याओं पर किताबें लिखी हैं और सांस्कृतिक ध्रुव धरोहरों पर गहन अध्ययन भी किया है। यहीं नहीं, उन्होंने ट्रेडिशनल फोक जैसे ठोडा, ङ्क्षसटू, बड़ाहलटू हिमाचल की देव पूजा पद्धति और पान चढ़े सहित नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के गीतांजलि संस्करण से 51 कविताओं का सिरमौरी भाषा में भी अनुवाद किया है। इसके अलावा उन्होंने बच्चों का फोटो ड्रामा 'भू रे एक रोटीÓ के अलावा समाधान नाटक, जो कि सुकताल पर आधारित है, का भी मंचन किया है। इस अवसर पर पच्छाद की रीना कश्यप भी उपस्थित रही।