नई शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान धवाला बोले, शिक्षक बना रहे खिचड़ी और शिक्षा का हो रहा बेड़ागर्क
Himachal Vidhan Sabha स्कूलों में खिचड़ी और भोजन ने शिक्षा का बेड़ागर्क कर दिया है। शिक्षक भोजन बनाने के लिए सामान लाने और राशन पकाने में व्यस्त हैं तो बच्चों को पढ़ाई कब करवाएंगे
शिमला, जेएनएन। स्कूलों में खिचड़ी और भोजन ने शिक्षा का बेड़ागर्क कर दिया है। शिक्षक भोजन बनाने के लिए सामान लाने और राशन पकाने में व्यस्त हैं तो बच्चों को पढ़ाई कब करवाएंगे। ऐसे हालात में व्यावसायिक शिक्षा छठी कक्षा से कैसे मिलेगी। यह बात पूर्व मंत्री व विधायक रमेश चंद धवाला ने विधानसभा में नई शिक्षा नीति पर चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कच्चा राशन दिया जाना चाहिए, जिससे कम से कम बच्चों की पढ़ाई तो हो।
1952 से प्रयास हो रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। कांग्रेस ने स्कूल खोल दिए लेकिन शिक्षक नहीं हैं। जहां शिक्षक हैं वहां बच्चे नहीं। ऐसे स्कूलों को समायोजित किया जाना चाहिए। व्यावसायिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक शिक्षा देने की आवश्यकता है। राकेश ङ्क्षसघा ने इसे निजीकरण को बढ़ावा देने वाला बताया। आशीष बुटेल ने भी विरोध जताया कि कोठारी कमीशन ने जीडीपी का छह फीसद खर्च करने को तब कह दिया।
नई शिक्षा नीति से मिलेगा रोजगार : बिंदल
नई शिक्षा नीति का प्रस्ताव चर्चा के लिए पेश करते हुए राजीव ङ्क्षबदल ने कहा इसका मुख्य उद्देश्य भारत को दुनिया की तीसरी बढ़ी आर्थिक शक्ति बनाना और रोजगारपरक शिक्षा देना है। हर बच्चा एक कौशल में पूरी तरह से विकसित होगा। पहली बार प्री-नर्सरी और तीन साल की प्रेपरेटरी तीन साल की होगी।
बिना बजट के ले आए नई नीति : नेगी
जगत सिंह नेगी ने कहा कि बिना सोच विचार के बिना बजट के नीति को लाएं हैं उचित नहीं हैं। मातृभाषा की बात हो रही है। हिमाचल की अपनी कोई भाषा नहीं है। छठी से व्यावसायिक शिक्षा शुरू कर क्या प्लंबर और इलेक्ट्रिशियन बनाएंगे। माइनस में चल रही जीडीपी में छह फीसदी बजट कहां से आएगा। गरीब का बच्चा उच्च शिक्षा न ले सके यह प्रयास है। शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है। किसी से कोई विचार विमर्श न करने को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने स्पष्टीकरण दिया कि समिति ने 2 लाख 75 हजार आम लोगों और एक हजार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सुझाव लिए हैं। 15 लाख लोगों ने ऑनलाइन सुझाव दिए।