बागियों के कारण मुबारिकपुर वार्ड में हारी भाजपा
धार बेल्ट के जिला परिषद मुबारिकपुर वार्ड में माहौल पक्ष में होने के बावजूद बीस साल बाद भी भाजपा जीत का सूखा खत्म नहीं कर पाई। हार का कारण बागी प्रत्याशी रहे जो खुद तो जीत नहीं सके लेकिन कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार कुलदीप की राहें आसान कर दीं।
नीरज पराशर, चिंतपूर्णी : धार बेल्ट के जिला परिषद मुबारिकपुर वार्ड में माहौल पक्ष में होने के बावजूद बीस साल बाद भी भाजपा जीत का सूखा खत्म नहीं कर पाई। हार का कारण बागी प्रत्याशी रहे, जो खुद तो जीत नहीं सके, लेकिन कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार कुलदीप की राहें आसान कर दीं। इस क्षेत्र में विस और लोस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा के लिए यह वार्ड एक चुनौती की तरह था, लेकिन पार्टी के कई नेताओं ने धरातल पर काम नहीं किया। अब नतीजा यह है कि कांग्रेस अपने इस पुराने गढ़ को बचाने में कामयाब रही।
दरअसल मुबारिकपुर वार्ड में भाजपा ने आखिरी चुनाव वर्ष 2000 में जीता था और स्व. केहर ङ्क्षसह यहां से सदस्य चुने गए। वर्ष 2005 में इंदिरा देवी, वर्ष 2010 में मोहन लाल व वर्ष 2015 में सुलोचना देवी विजेता रहे। पंद्रह वर्ष बाद यह सीट इस बार अनारक्षित थी। कांग्रेस ने चुनाव का बिगुल बजते ही कुलदीप कुमार को प्रत्याशी घोषित कर दिया, जबकि भाजपा में कई दावेदार सामने थे। काफी दिन जद्दोजहद करने के बाद अंत में सुनीश डढवाल के नाम पर सहमति बनी। इसी बीच पार्टी के तीन बागी उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में कूद गए। अमन कुमार, नरेन्द्र ङ्क्षसह और सरवण कुमार के चुनाव में उतरने से भाजपा के वोट बंटने का खतरा था और चुनाव परिणाम के बाद यह बात स्पष्ट हो भी गई। हालांकि कांग्रेस के काडर को भी इन प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया, लेकिन पार्टी अपने वोट बैंक को काफी हद तक सुरक्षित रखने में सफल रही। इस सीट पर जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस को भी एक तरह से संजीवनी मिली है क्योंकि पंचायत चुनाव में भी धार क्षेत्र में भाजपा को बढ़त मिली है। कांग्रेस बेशक अब इस सीट के जरिए ही दोबारा से माहैाल बनाने का प्रयास करेगी, वहीं भाजपा को भी आत्ममंथन करना होगा कि इस वार्ड में हार के कारण क्या रहे हैं।