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आखिर शांता कुमार क्‍यों बोले, प्रदेश में गिर रहा शिक्षा का स्‍तर; जानिए पूरा मामला

BJP Leader Shanta kumar भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:30 AM (IST)
आखिर शांता कुमार क्‍यों बोले, प्रदेश में गिर रहा शिक्षा का स्‍तर; जानिए पूरा मामला
आखिर शांता कुमार क्‍यों बोले, प्रदेश में गिर रहा शिक्षा का स्‍तर; जानिए पूरा मामला

पालमपुर, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताई है। प्रदेश में 21 विश्वविद्यालय, एक जिले में सात विश्वविद्यालय और एक पंचायत में तीन विश्वविद्यालय खुले हैं। पिछली सरकारें रेबडिय़ों की तरह विश्वविद्यालय बांटती रही लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया। वर्तमान में प्रदेश में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सीबीआइ कर रही है। इसमें बहुत से फर्जी शिक्षा संस्थाओं का पता लग रहा है। विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजी संस्थाओं की भी हिमाचल में भरमार है।

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सीबीआइ जांच से चकित करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं कि बिना पढ़े विद्यार्थियों को डिग्रियां मिलती रहीं। बहुत से विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थाओं में न तो स्टाफ पूरा है और न बैठने के लिए भवन हैं। बेरोजगारी के कारण युवा कोई डिग्री लेने के लिए इनमें प्रवेश लेते हैं। यह कड़वी सच्चाई है कि कुछ शिक्षा संस्थाएं केवल डिग्री देने वाली दुकानें बन गई हैं। इस सबके परिणामस्वरूप शिक्षा का स्तर गिरा है। प्रदेश में पटवारियों के 1194 पदों के लिए 3 लाख उम्मीदवार परीक्षा में बैठे और इनमें एमए व बीए शिक्षा प्राप्त युवा शामिल थे जबकि योग्यता केवल मैट्रिक थी।

हैरानी की बात है कि मैट्रिक स्तर की परीक्षा में 3 लाख उम्मीदवार में से केवल 1185 उत्तीर्ण हुए। यदि यह आंकड़ा सामने आ जाए कि उनमें एमए, बीए पढ़े हुए भी कितने फेल हुए तो शिक्षा के गिरते स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है। यही हालात स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से ली गई टीजीटी मेडिकल टेट में भी केवल 5.13 प्रतिशत छात्र पास हुए। बोर्ड की ओर से आयोजित आठ विषयों की शिक्षक पात्रता परीक्षा में लगभग 50 हजार विद्यार्थियों से केवल 10 हजार ही पास हुए हैं। हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा शिक्षा के गिरते स्‍तर को दर्शाता है, जिसमें सुधार की आवश्‍यकता है।


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