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वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्‍कार से पहले पुत्र विक्रमादित्‍य सिंह का राजतिलक, सफेद कपड़े से ढकी गई सारी जगह, जानिए परंपरा

Vikramaditya Singh Coronation पदम देव पैलेस में विक्रमादित्य सिंह का राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्‍कार से पहले राजतिलक हो गया। राजतिलक की रस्म सुबह साढ़े आठ से शरू हुई और करीब 11 बजे हवन के बाद पूरी हो गई।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 10:55 AM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 03:04 PM (IST)
वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्‍कार से पहले पुत्र विक्रमादित्‍य सिंह का राजतिलक, सफेद कपड़े से ढकी गई सारी जगह, जानिए परंपरा
पदम देव पैलेस में विक्रमादित्य सिंह का राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्‍कार से पहले राजतिलक हो गया।

रामपुर बुशहर, शिमला, जागरण संवाददाता। Vikramaditya Singh Coronation, राज दरबार परिसर रामपुर में शनिवार को प्रदेश के छह बार रहे मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक किया गया। पदम देव पैलेस में राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्‍कार से पहले विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक हो गया। राजतिलक की रस्म सुबह साढ़े आठ से शरू हुई और करीब 11 बजे हवन के बाद पूरी हो गई। कुल पुरोहित पंडित योगराज निवासी शिंगला व अन्य पुरोहितों की मौजूदगी में राजतिलक की रस्‍म निभाई गई। राजतिलक पर्दे में किया गया व इस दौरान मीडिया से बिल्‍कुल दूरी बनाई गई।

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रजवाड़ा शाही पूरी तरह से खत्म हो चुकी है लेकिन राज परिवार ने अपनी परंपरा निभाने के लिए राजतिलक का आयोजन किया। इसे कैमरों और आम लोगों से भी दूर रखा गया। इसे मात्र राज परिवार की रस्म के रूप में किया गया। बुशहर रियासत की रस्म है कि जब परिवार में मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो उनकी पार्थिव देह को महल से बाहर निकालने से पहले उनके वारिस का राजतिलक किया जाता है, इसके बाद ही मुखिया के अंतिम संस्कार की रस्म को निभाया जाता है।

सर्वविदित है कि पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह बुशहर रियासत के 122वें राजा थे। अब विक्रमादित्य सिंह us 123वें राजा के रूप में बुशहर रियासत की गद्दी संभाली है। इसके लिए विक्रमादित्य सिंह को सुबह करीब सात बजे गद्दी के पास ले जाया गया। जहां पर क्षेत्र में पंडितों द्वारा पहले पूजा पाठ का आयोजन किया, इसके बाद उनका राजतिलक किया गया। इस दौरान पूरे स्थान को सफेद कपड़े से ढककर रखा गया, ताकि कोई भी व्यक्ति उसके अंदर न झांक सके।

राजपरिवार में रिवायत है कि राजा के अंतिम संस्कार से पहले ही उनके पुत्र का राजतिलक किया जाता है। राज परिवार में कभी राज्य को बिना राजा के नहीं छोड़ा जाता है। रिवायत के अनुसार जब किसी राजा का निधन होता है है तो उनके अंतिम संस्कार से पहले बेटे को राजा बनाना अनिवार्य है। वर्ष 1947 में राजा पदम सिंह की मृत्यु हो जाने के बाद वीरभद्र सिंह का पूरे राज रीति रिवाज के अनुसार राजतिलक किया गया था। तब उनकी उम्र महज 13 साल थी। वीरभद्र सिंह के वारिस टीका विक्रमादित्य सिंह हैं। ऐसे में राजतिलक होना निश्चित हुआ है। दरबार परिसर के अधिकारी सत्यप्रकाश नेगी ने यह जानकारी दी।

इसके लिए जिला किन्नौर में सांगला में स्थित कामरू देवता की मौजूदगी में पूरे रीति रिवाज के अनुसार कार्यक्रम किया गया। उन्होंने बताया कामरु देवता के साथ वहां के स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। राज परिवार का कामरू देवता के साथ पारिवारिक संबंध भी है। राजतिलक के बाद ही वीरभद्र सिंह की अंत्येष्टि राज परिवार के श्मशान घाट में की जाएगी।

पूर्व मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह 13 साल की उम्र में राजा बन गए थे। बाल अवस्‍था से ही उनका जनता के दुख दर्द में शामिल होना आदत बन गई थी। इसके बाद राजनी‍ति में आए व छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भी रहे। उनका राजनीतिक सफर 60 वर्ष का रहा।


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