अतिक्रमण से सिकुड़ी बैजनाथ-पपरोला की कूहलें
मुनीष दीक्षित बैजनाथ पहले से ही कूड़े कचरे की मार झेल रही बैजनाथ-पपरोला की कूहला
मुनीष दीक्षित, बैजनाथ
पहले से ही कूड़े कचरे की मार झेल रही बैजनाथ-पपरोला की कूहलों पर अब अतिक्रमण भारी पड़ने लगा है। दो दशक से कूहलों को कई स्थानों पर कब्जों ने सिकुड़ कर रख दिया है। कुछ कूहलों को सार्वजनिक रास्तों के निर्माण की बलि चढ़ा दिया गया है तो कुछ के हिस्सों को रास्तों के अंदर दबा दिया गया है। दो साल से बैजनाथ उपमंडल की कूहलों को फिर से शुरू करने की कवायद शुरू की गई है। कुछ स्थानों में विभाग को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
उपमंडल के एक बड़े हिस्से को सिचाई सुविधा उपलब्ध करवाने वाली एलबी कूहल के बस अड्डे से जाने वाले एक बड़े भाग को अंडरग्राउंड कर दिया गया है। यही हाल पपरोला की रैनकी कूहल का भी है। कभी एक से दो मीटर रही इस कूहल की कुछ हिस्सों में चौड़ाई कुछ इंच ही रह गई है। कूहलों में लोगों द्वारा पानी की पाइपों व सीवरेज को भी डाला जा रहा है और इस कारण इनमें गंदगी बह रही है। पपरोला के बुहली कोठी के किसानों को रैनकी कूहल का पानी कई साल से नहीं मिल पा रहा है। यही हाल एलबी व चरणामति का भी है। विभाग कूहलों को बहाल करवाने में लगा हुआ है। कब्जों से कई स्थानों में बारिश के समय हालात भी खराब होने लगे हैं।
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क्या हैं कारण
पहले कूहलों को चलाने के लिए कर्मचारी होते थे लेकिन कर्मचारियों के हट जाने के बाद इनमें लोग सरेआम गंदगी फेंक रहे हैं। इसके अलावा सार्वजनिक रास्तों से भी कई कूहलों को बंद कर दिया गया है। हैरानी की बात है कि उस दौरान यहां तैनात अधिकारियों ने इन कार्यो में कोई कदम नहीं उठाया है।
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जब तक कृषि सरकार की प्राथमिकता नहीं होगी तब तक कूहलों का यही हाल होगा। आज कूहलें केवल ठेकेदारों को काम देने तक सीमित हो गई हैं। किसानों को सिचाई सुविधा नहीं मिल रही है। यहां की कूहलों में कर्मचारी तक नहीं हैं। कब्जे व गंदगी भविष्य में इनके लिए बड़ा खतरा है।
-अक्षय जसरोटिया, किसान नेता
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इस समय अतिक्रमण व कचरे की सबसे अधिक समस्या रैनकी व एलबी कूहलों में आ रही है। जहां अतिक्रमण हुए हैं, उन स्थानों को चिह्नित किया जा रहा है। कब्जाधारकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अमित चौधरी, सहायक अभियंता जल शक्ति विभाग बैजनाथ