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खैरा में शहीद के नाम पर बना प्रवेश द्वार गिरने की कगार पर

कांगड़ा के शहीद दिनेश राणा का गांव खैरा आज भी सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण उपेक्षा का दंश झेल रहा है। खैरा गांव के शहीद दिनेश के नाम पर बना दिनेश स्मारक द्वार उचित देखरेख के अभाव में जर्जर अवस्‍था में है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 01:20 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 01:20 PM (IST)
खैरा में शहीद के नाम पर बना प्रवेश द्वार गिरने की कगार पर
शहीद दिनेश के नाम पर बना दिनेश स्मारक द्वार उचित देखरेख के अभाव में जर्जर अवस्‍था में है।

भवारना, शिवालिक नरयाल। कांगड़ा के शहीद दिनेश राणा का गांव खैरा आज भी सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण उपेक्षा का दंश झेल रहा है। खैरा गांव के शहीद दिनेश के नाम पर बना दिनेश स्मारक द्वार उचित देखरेख के अभाव में जर्जर अवस्‍था में है।

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अप्रैल, 2003 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री चंद्रेश कुमारी ने उस समय रहे सुलह के विधायक जगजीवन पाल की उपस्थिति में इस स्मारक द्वार का अनावरण किया गया था। लेकिन आज इसकी दशा देख कर हर कोई हैरान है। स्मारक को बने हुए 17 वर्ष हो चुके हैं लेकिन किसी भी सरकार अथवा विभाग ने इसके आवरण के बाद इसके रखरखाव या सुधार की सुध नहीं ली। जिस कारण इस प्रवेश द्वार की हालत बद से बदतर हो चुकी है।

हैरानी की बात यह है कि पालमपुर से झुंगा देवी- सुजानपुर मुख्य मार्ग पर स्थित होने के नाते यहां आए दिन यहां आलाधिकारियों, मंत्रियों यहां तक कि मुख्यमंत्री तक का काफिला आता रहता है। लेकिन शहीद के नाम पर बने इस प्रवेश द्वार की जर्जर हालत पर किसी नै गौर नहीं की। स्मारक से महज बीस ग़ज़ की दूरी पर विश्राम गृह भी है जहां पर भी सबका आना जाना लगा रहता है स्मारक के पास ही कूड़े कचरे व गंदगी के ढेर जहां स्वच्छता की पोल खोल रहे हैं।

शहीद के परिवार को है उपेक्षा का मलाल

शहीद परिवार के सदस्य में से उसके बड़े भाई मोहिंद्र राणा व माता निर्मला देवी सहित अन्य को इस बात का  मलाल है कि प्रवेश द्वार की दशा सुधारने बारे में बार बार आग्रह करने के बाबजूद भी मात्र आश्वासनों  के सिवा उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने प्रशासन अथवा सरकार से  इस संदर्भ में लगाई हर आस को छोड़ दिया है।

कौन हैं दिनेश राणा

19 सितंबर 1978 को खैरा के लझियां गांव में केसरी सिंह व निर्मला देवी के घर जन्मे दिनेश राणा बचपन से ही होशियार थे। 16 अप्रैल 1996 को वह सेना में भर्ती हुए जिसके बाद महज साढ़े चार साल की नोकरी के बाद ही 15 अगस्त 2001 को उसने शहादत का जाम पी लिया था। सेना की 23 फेज आर्टिलरी बटालियन में जम्मू कश्मीर में तैनाती के  दौरान खैरा के अमर वीर ने अपने एक अन्य साथी सहित जम्मू कश्मीर के कैथल में उग्रवादियों की चाल को नाकाम कर अपने प्राणों की बाजी लगा कर शहादत का जाम पीया था।

15 अगस्त को जब उधमपुर में सेना तिरंगा फहराने की तैयारियां कर रही थी तो उसी अवसर पर प्रसाशन को आतंकवादियों द्वारा किसी बड़ी साजिश के तहत आतंकी हमला की आशंका की सूचना मिली कि आतंकवादी उधमपुर में रेजिमेंट पर हमला करने की फिराक में हैं। इसी के चलते जवानों को मुश्तैदी के लिए भेजा गया इनमें से खैरा के अमर शहीद दिनेश सिंह भी अपने साथी  विनोद कुमार के साथ शामिल थे। जैसे ही 15 अगस्त को सुवह 5 बजे रियासी सेक्टर के कैथल गांव में तीन आतंकियों से उनका सामना हुआ। उसी मुठभेड़ में शहीद दिनेश ने 2 आतंकियों को ढेर कर दिया लेकिन इस दौरान जबाबी कार्रवाई में एक वर्स्ट जो उन्हें भी पेट में लगा, जिससे वह भी गम्भीर रूप से घायल तो हो गए , बाबजूद इसके दिनेश ने तीसरे आतंकी को भी मार गिराया, समय पर एयरलिफ्ट न हो पाने के कारण, जाबाज़ ने दम तौड़ दिया।

विभाग के पास नहीं है कोई फंड

लोक निर्माण विभाग भवारना के अधिशाषी अभियंता मनीष सहगल का कहना है कि विभाग के पास इस तरह के कामों व देख रेख के लिए कोई पैसा नहीं आता है। यदि इसी काम के लिए आलाधिकारी पैसा मुहैया करवाएं तभी इसका जीणोद्धार संभव है।

विधान सभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि शहीद के नाम पर बने इस प्रवेश द्वार की हालत यदि जर्जर हो चुकी है तो जल्द ही इसे सुधार कर नया रूप दिया जाएगा।जिसके लिए शहीद का परिवार आश्वस्त रहे।


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