Move to Jagran APP

19 साल की उम्र में 20 नेशनल मेडल और चार रिकॉर्ड, गांव से निकलकर विश्‍वस्‍तर तक पहुंची सीमा

Athlete Seema हिमाचल के चंबा की सीमा अभी 19 साल की हैं लेकिन अब तक 20 राष्ट्रीय पदक और एक एशिया स्तर का मेडल अपने नाम कर चुकी हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 09:35 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 03:45 PM (IST)
19 साल की उम्र में 20 नेशनल मेडल और चार रिकॉर्ड, गांव से निकलकर विश्‍वस्‍तर तक पहुंची सीमा
19 साल की उम्र में 20 नेशनल मेडल और चार रिकॉर्ड, गांव से निकलकर विश्‍वस्‍तर तक पहुंची सीमा

धर्मशाला, अजय अत्री। हिमाचल के चंबा की सीमा अभी 19 साल की हैं, लेकिन अब तक 20 राष्ट्रीय पदक और एक एशिया स्तर का मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। चार बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी चमक बिखेरी है। यही नहीं सीमा के नाम चार नेशनल रिकॉर्ड भी हैं। इस समय सीमा भोपाल में खेलो इंडिया के तहत नेशनल खेल अकादमी में विदेशी कोच वेनडेन ब्राव से प्रशिक्षण ले रही हैं। इस होनहार एथलीट से दैनिक जागरण ने उनकी मौजूदा तैयारियों और 2020 के लक्ष्यों पर आधारित बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश...

loksabha election banner

2020 के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किए हैं?

अभी तो जूनियर एशिया और जूनियर वर्ल्‍ड चैंपियनशिप पर फोकस है। इसके अलावा इस साल नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में भी 5000 मीटर और 3000 मीटर की स्पर्धा में टाइमिंग और बेहतर करने की कोशिश करूंगी।

ट्रेनिंग कैसी चल रही है। क्या इस सेंटर में अन्य के मुकाबले ज्यादा बेहतर सुविधाएं हैं?

बेशक भोपाल की  नेशनल खेल अकादमी में अन्य सेंटरों से ज्यादा सुविधाएं हैं। आपको बीच-बीच में रिकवरी की भी जरूरत महसूस होती है। यहां तमाम वो चीजें हैं जो एक एथलीट के लिए ट्रेनिंग में जरूरी समझी जाती हैं।

आजकल डोपिंग के मामले काफी बढ़ गए हैं। देखा गया है कि कभी-कभी खिलाड़ी का दोष न होते हुए भी उसे नासमझी के चलते सजा भुगतनी पड़ती है। सतर्कता कितनी जरूरी है?

एहतियात बहुत जरूरी है। नाडा ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी की है। उसी के मुताबिक चलना चाहिए। अगर किसी एथलीट को कोई दवाई लेनी भी है तो सेंटर में मौजूद डॉक्टर या कोच से पूछे बिना न ले। सतर्क रहेंगे तो लांछन से बचे रहेंगे।

हिमाचल में कई प्रतिभाएं स्कूल और स्टेट लेवल के बाद खो जाती हैं। क्या वजह मानती हैं। सुविधाओं का अकाल या फिर संघर्ष मेें कमी?

ऐसा है! हिमाचल में प्रतिभाओं की कमी नहीं। लेकिन कई बार हालात के आगे अच्छे से अच्छा खिलाड़ी भी टूट जाता है। खेलों के लिए आधारभूत ढांचा बहुत जरूरी है। लेकिन अगर आप में हिम्मत और जुनून है तो फिर कोई भी बाधा मुश्किल नहीं। लक्ष्य आपकी पहुंच में होगा।

आपके लिए अब तक का सफर कितना मुश्किल रहा?

मैं गरीब परिवार से आई हूं। चंबा में जीवन यापन का साधन थोड़ी सी खेती और पशुपालन ही था। गुजारा मुश्किल से होता था। लेकिन बचपन से ही जिद थी कि जीवन बदलना है। कुछ अलग करना है। इसलिए खेतों की पगडंडियों में दौड़ लगाती थी। बाद में स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में सफलताएं मिलीं, जिला और फिर राज्य स्तर तक यह क्रम बना रहा। इसी दौरान हमीरपुर में एक प्रतियोगिता में धर्मशाला साई के कोच पटियाल सर की नजर पड़ी और उन्होंने मुझे साई आने का ऑफर दे दिया।

युवा एथलीटों को क्या संदेश देना चाहेंगी?

मुश्किलें जीवन में आती रहती हैं। लेकिन मैं कहूंगी कि हौसला बनाएं रखें और अपने लक्ष्य से न भटकें। आपका जुनून ही है जो आपको एक दिन मंजिल तक ले जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.