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Atal Tunnel Rohtang: अटल टनल में इमरजेंसी पर काम आएंगी ये सुरंगें, इस तरह होगी निकासी; देखें तस्वीरें

Atal Tunnel Rohtang अटल टनल अति आधुनिक तकनीक से तैयार हुई है। इस टनल के ऊपर धुआं निकालने के लिए भी व्‍यवस्‍था की गई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 11:08 AM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 12:16 PM (IST)
Atal Tunnel Rohtang: अटल टनल में इमरजेंसी पर काम आएंगी ये सुरंगें, इस तरह होगी निकासी; देखें तस्वीरें
Atal Tunnel Rohtang: अटल टनल में इमरजेंसी पर काम आएंगी ये सुरंगें, इस तरह होगी निकासी; देखें तस्वीरें

मनाली, जसवंत ठाकुर। अटल टनल रोहतांग अति आधुनिक तकनीक से तैयार हुई है। इस टनल के ऊपर धुआं निकालने के लिए भी व्‍यवस्‍था की गई है। वहीं, नीचे आपातकालीन टनल तैयार की गई है, जिसे हर 500 मीटर के बाद मुख्य टनल से जोड़ा गया है। अटल टनल के अंदर अगर किसी गाड़ी में आग लग जाती है तो लोगों को आपातकालीन टनल से रेस्क्यू किया जा सकता है। घटना वाली जगह को दोनों ओर से कंट्रोल किया जाएगा और आग के धुएं को सबसे ऊपर वाली टनल से बाहर निकाला जाएगा।  सबसे नीचे वाले भाग में पानी के लिए टनल उससे ऊपर आपातकालीन रास्ता फिर यातायात टनल और सबसे ऊपर धुआं बाहर निकालने के लिए व्‍यवस्‍था की गई है।

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अटल टनल विकट परिस्थितियों को पार कर दस हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी सुरंगों में है। इस परियोजना ने  इंजीनियरों को सिखाया भी है, अटल टनल से मिला अनुभव मनाली-लेह नेशनल हाईवे पर बनने वाली अन्य चार महत्वपूर्ण सुरंग के निर्माण में काम आएगा। रोहतांग के बाद शिंकुला और बारालाचा दर्रे पर भी टनल निर्माण प्रस्तावित है।

चीन सीमा तक पहुंचना होगा आसान

देश का गौरव बनने जा रही लाहुलियों के सपनों की अटल टनल बनकर तैयार है। टनल को बस अब उद्घाटन का इंतजार है। प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही इस महत्वपूर्ण परियोजना को देश को समर्पित करने जा रहे हैं। यह टनल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित लाहुलियों के सपनों की भी टनल है। लाहुल घाटी में टनल लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आ रही है। लेह-लद्दाख में चीन सीमा पर बैठे देश के प्रहरियों तक पहुंचना अब आसान हो जाएगा। सदियों से सर्दियों का कहर झेल रहे लाहुल के लोगों को अब रोहतांग दर्रा भी नहीं सताएगा न ही हवाई सेवा पर निर्भर रहना पड़ेगा। इस सुरंग के बनने से मनाली-लेह मार्ग पर 46 किलोमीटर कम सफर करना पड़ेगा।

दो जून 2002 को केलंग में हुई थी टनल के निर्माण की घोषणा

अटल टनल के निर्माण का सपना इंदिरा गांधी सहित लाहुल स्पीति की पूर्व विधायक लता ठाकुर व पूर्व विधायक देवी सिंह ठाकुर ने भी देखा। लेकिन इसे अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरा किया। उन्होंने 2 जून 2002 को लाहुल-स्पीति के केलंग में आकर इसकी विधिवत घोषणा की। पूर्व प्रधानमंत्री ने अटल टनल के साउथ पोर्टल तक सड़क का भी निर्माण करवाया।

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखी आधारशिला

जून 2010 में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मनाली के सोलंग आकर अटल टनल की आधारशिला रखी। उस समय इस टनल के निर्माण की लागत 1400 करोड़ आंकी गई तथा 2015 में इसे तैयार करने का लक्ष्य भी रखा गया। बर्फ के कारण लाहुल की ओर से छह महीने ही काम हो सका। बीच में सेरी नाले ने भी दिक्कत को बढ़ाया।

1400 करोड़ से 4000 करोड़ पहुंची लागत

विपरीत परिस्थितियों ने निर्माण की लागत 1400 करोड़ से 4000 करोड़ पहुंचा दी। लेकिन इंजीनियरों के कुशल रणनीतिक बदलाव के कारण न केवल 800 करोड़ की बचत हुई है, बल्कि  टनल की देखरेख और बेहतरी के लिए लिए धन बचा लिया।  3200 करोड़ की यह अटल टनल बनकर तैयार है।

10 साल में बनकर तैयार हुई अटल टनल

पिछले दस साल से दस हजार फीट की ऊंचाई पर पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में बीआरओ की देखरेख में एफकॉन स्ट्रॉबेग व समेक कंपनी 12 महीने 24 घंटे इस महत्वपूर्ण सुरंग को पूरा करने में जुटे रहे। एलससी तक समय और दूरी कम करने के साथ-साथ साल में छह महीने देश व दुनिया से कटी रहने वाली कबायली घाटी अब सालभर जुड़ी रहेगी।

सेरी नाला बना था बड़ी बाधा

टनल के अंदर सेरी नाले का रिसाव बीआरओ के लिए सबसे बड़ी बाधा बना।  अटल टनल के दोनों छोर मिलने में लगभग आठ साल का समय लग गया। सेरी नाले के रिसाब के चलते महज 600 मीटर हिस्से को पार करने में साढ़े तीन साल  का समय लग गया। टनल के अंदर  रिसाब के कारण कई बार फ्लड जैसे हालात बन गए।

एक समय तो ऐसा आया कि स्ट्रॉबेग और एफकॉन कंपनी के इंजीनियर अंदर जाने से डरने लगे। बीआरओ अधिकारियों की सूझबूझ और हौसले ने कंपनी के इंजीनियरों का न केबल हिम्‍मत बढ़ाई, बल्कि स्वयं आगे आकर मोर्चा भी संभाला।


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