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हिमाचल में स्क्रब टायफस से दसवीं मौत, 2634 में से 316 मामले पॉजिटिव; इस तरह करें बचाव

Cassualty by Scrub Typhus हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस से एक और मौत हो गई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 03:07 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 03:07 PM (IST)
हिमाचल में स्क्रब टायफस से दसवीं मौत, 2634 में से 316 मामले पॉजिटिव; इस तरह करें बचाव
हिमाचल में स्क्रब टायफस से दसवीं मौत, 2634 में से 316 मामले पॉजिटिव; इस तरह करें बचाव

शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस से एक और मौत हो गई है। स्क्रब टायफस से पीडि़त हमीरपुर जिले की महिला ने राजधानी शिमला के इंदिर गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (आइजीएमसी) में दम तोड़ दिया। मृतक महिला को गंभीर हालत में एक सप्‍ताह पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसकी पुष्टि आइजीएमसी के एमएस डॉ. जनक ने की है। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार के हल्के या तेज बुखार को नजरअंदाज न करें। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और बुखार की जांच करवाएं।

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उन्होंने बताया बुखार यदि एक सप्‍ताह से ज्यादा चले तो मरीज का मर्ज चरम तक पहुंच सकता है। ऐसे में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है। अस्पताल में स्क्रब टायफस संबंधी सभी टेस्ट और दवाएं मुफ्त उपलब्ध करवाई जा रही हैं। स्क्रब टायफस के इस सीजन में करीब 2634 टेस्ट करवाए गए, जहां 316 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसमें अभी तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। अस्पताल में स्क्रब टायफस वाले चार मरीज दाखिल हैं, जो डॉक्टरों की निगरानी में हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं कैसे करें बचाव

ग्रामीण क्षेत्र में आमतौर पर महिलाएं खेतों में अधिक काम करती हैं। ऐसे में उन्हें पूरे बाजू के कपड़े और पैरों में जुराब और जूते पहनकर खेत जाना चाहिए। बैठकर घास काटने, पीठ और सिर पर बोझा उठाते हुए स्क्रब टायफस का कीड़ा शरीर में प्रवेश कर सकता है। ऐसे में महिलाओं को प्लास्टिक के ढाठू से बालों और गर्दन के पूरे हिस्से को कवर करना चाहिए। खेत से वापिस आने के बाद अच्छी तरह से साबुन से नहा लें और खेत में पहने कपड़ों को भी बदल लें।

मल्टीपल ऑर्गनस में वायरल के पहुंचने से होती है मौत

स्क्रब टायफस वाला कीड़ा जब काटता है तो वह अपनी लार छोड़ता है ऐसे में पीडि़त व्यक्ति को इन्फेक्‍शन हो जाता है, जब यह इन्फेक्शन मल्टीपल ऑर्गनस में पहुंच जाता है तो मरीज की मौत हो जाती है। लंग्स, कीडनी, लिवर में इन्फैक्शन पहुंचने से ये सभी काम करना बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का बच पाना संभव नहीं हो पाता। इसके अलावा मरीज का अस्पताल में बीमारी की लेट जांच करवाना भी मौत का कारण होता है।

बीमारी की पहचान और लक्षण

पीडि़त व्यक्ति के शरीर में काले रंग का निशान होगा। वह निशान आसानी से नहीं दिखता है। निशान में दर्द नहीं होता। बुखार, थकावट, शरीर के अंगों में दर्द, कमजोरी, उल्टियां इसके लक्षण हैं।


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