बेसहारा पशु बने परेशानी का सबब
सुरेश कौशल योल बेसहारा पशु कहां से आते हैं इसका किसी के पास कोई सही जवाब नहीं
सुरेश कौशल, योल
बेसहारा पशु कहां से आते हैं, इसका किसी के पास कोई सही जवाब नहीं है, लेकिन इनकी वजह से ही किसान ही नहीं अन्य लोग भी परेशान हैं। सड़कों से लेकर गांवों में पशु होने के कारण किसान तो खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं। वहीं राहगीर भी बेसहारा पशुओं से कई बार चोटिल हो चुके हैं। ऐसा ही उदाहरण धर्मशाला ब्लॉक की तंगरोटी पंचायत का है। हालांकि यह गांव किसान बाहुल्य है और खेतीबाड़ी इनका प्रमुख व्यवसाय भी है। वैसे भी यहां के सावरमती चावल बड़े मशहूर है। आलू की फसल में भी गांव अव्वल माना जाता है, लेकिन बेसहारा पशुओं की वजह से किसान खेती करने से भी मुंह मोड़ने को मजबूर होने लगे हैं। किसानों ने पंचायत के माध्यम से सरकार से इन बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है।
-------------
यह गांव किसान बाहुल्य क्षेत्र है और खेतीबाड़ी ही इनका मुख्य पेशा है। बेसहारा पशु कहां से आते हैं इसका किसी को अंदाजा नहीं। पचायतस्तर भी एक दो बार पशुओं को गोसदन भेजने का प्रयास किया है। सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
-अंकेश डोगरा, उपप्रधान तंगरोटी पंचायत।
---------------
कई बार तो इन पशुओं को बांध कर भी रखा गया, लेकिन इतने दिनों तक संभाल पाना किसी के वश में नहीं। सरकार को पंचायत स्तर पर इन पशुओं से निजात दिलाने के प्रयास करने चाहिए।
-सुभाष चौधरी।
-----------------
बेसहारा पशु खड़ी फसल को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। दिन को खदेड़े जाने पर रात को फसलों को बर्बाद कर देते हैं। सरकार किसानों की भी सुध ले।
-सुषमा देवी वार्ड पंच।
------------ सरकार को ऐसे ही पशुओं को बेसहारा छोड़ने वालों के खिलाफ कोई स्थायी नीति बनानी चाहिए, ताकि लोग इस तरह इन पशुओं खुले में न छोड़ें।
-रूप लाल।