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पालमपुर के पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों ने स्पीति घाटी में उपचार शिविरों में जांचे पशु

चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों की एक टीम ने जिला लाहौल-स्पीति के स्पीति उपमंडल के विभिन्न हिस्सों में सात पशु बांझपन परीक्षण व उपचार शिविरों का आयोजन किया। पशुओं में प्रजनन संबंधी असामान्यताओं को रिकॉर्ड करने पर जोर दिया गया।

By Richa RanaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 11:44 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 11:44 AM (IST)
पालमपुर के पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों ने स्पीति घाटी में उपचार शिविरों में जांचे पशु
लाहौल-स्पीति में सात पशु बांझपन परीक्षण व उपचार शिविरों का आयोजन किया।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों की एक टीम ने जिला लाहौल-स्पीति के स्पीति उपमंडल के विभिन्न हिस्सों में सात पशु बांझपन परीक्षण व उपचार शिविरों का आयोजन किया। शिविरों का आयोजन गुलिंग, सग्नम, ताशीगुंग, गेटे, किब्बर, काजा और चिचोंग गांवों में किया गया, जो समुद्र तल से 12000-15300 फीट की ऊंचाई के बीच स्थित हैं।

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150 गायों अौर चूरी की जांच व इलाज किया

हिमाचल प्रदेश के उच्च पर्वतीय जनजातिय क्षेत्रों में गौवंश बांझपन की जांच व प्रबंधन, बांझपन की स्थिति की जांच के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना परियोजना के तहत राज्य के पशुपालन विभाग के सहयोग से इन शिविरों का आयोजन किया गया। शिविरों के टीम लीडर प्रो. मधुमीत सिंह ने बताया कि इन शिविरों में लगभग 150 गायों और चूरी (याक और गायों की क्रॉसब्रेड) की जांच व इलाज किया गया। शिविरों में मुख्य रूप से आदिवासी क्षेत्रों में किसानों द्वारा पाले गए दुधारू पशुओं में प्रजनन संबंधी असामान्यताओं को रिकॉर्ड करने पर जोर दिया गया।

वैज्ञानिकों ने विस्तृत निदान में पशुओं में विद्यमान खनिजों, जैव रासायनिक व हार्मोनल प्रोफाइल का अध्ययन करने के लिए रक्त के नमूने लिए। गर्भाशय संक्रमण की जांच के लिए पशुओं के जननांगों से स्रावों के सैंपल लिए गए। इन क्षेत्र के पशुओं में परजीवी संख्या का बांझपन के साथ संबंध जानने के लिए मल-मूत्र के सैम्पल भी लिए गए। शिविरों में पशुओं का निःशुल्क इलाज किया गया।

यह बोले विभागाध्यक्ष

प्रसार शिक्षा निदेशक व मादा पशु रोग व पशु प्रसूति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मधुमीत सिंह ने बताया कि उनका विभाग राज्य के विभिन्न हिस्सों में पशुओं के प्रजनन विकारों के उपचार हेतु विशेष सेवाएं प्रदान करता है। जिसका उद्देश्य बांझपन की घटनाओं को कम करना है।

कुलपति ने सराहे वैज्ञानिक

कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने प्रतिकूल मौसम और महामारी की स्थिति में भी दूरदराज के जनजातिय क्षेत्रों में किसानों की सेवा करने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की है। कुलपति ने स्पीति के कुछ किसानों से फोन पर भी बातचीत की। इन पशु बांझपन परीक्षण व उपचार शिविरों में प्रो. मधुमीत सिंह के अलावा मादा पशु रोग व पशु प्रसूति विभाग से डा. प्रवेश कुमार व विजय राणा भी टीम में शामिल थे।


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