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सुप्रीमकोर्ट के फैसले से अस्थायी शिक्षकों की नियमित में होगी गिनती, नई नियुक्तियों पर पड़ेगा असर

अस्थायी शिक्षकों पर आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य सरकार को शिक्षा विभाग में खाली पदों को भरने के लिए ही मशक्कत करनी होगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2020 09:45 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 09:45 AM (IST)
सुप्रीमकोर्ट के फैसले से अस्थायी शिक्षकों की नियमित में होगी गिनती, नई नियुक्तियों पर पड़ेगा असर
सुप्रीमकोर्ट के फैसले से अस्थायी शिक्षकों की नियमित में होगी गिनती, नई नियुक्तियों पर पड़ेगा असर

शिमला, जेएनएन। अस्थायी शिक्षकों पर आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य सरकार को शिक्षा विभाग में खाली पदों को भरने के लिए ही मशक्कत करनी होगी। इसका असर नई नियुक्तियों पर पड़ेगा। नौकरी का इंतजार कर रहे युवाओं का इंतजार ज्यादा लंबा हो जाएगा। इस साल सरकार ने हजारों पद शिक्षा विभाग में भरने का फैसला लिया था। इस फैसले के बाद नियमित शिक्षकों की संख्या बढ़ जाएगी। खाली पदों की संख्या कम हो जाएगी। वहीं नौकरी का इंतजार कर रहे अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) पास टीजीटी से जेबीटी शिक्षकों का नौकरी का इंतजार लंबा हो सकता है। बैच के आधार पर नियुक्ति का इंतजार कर रहे युवाओं को भी झटका लगेगा।

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एसएमसी की भी जगी उम्मीद 0903 सुप्रीमकोर्ट के आदेशों के बाद अब शिक्षा विभाग में एसएमसी (स्कूल प्रबंधन समिति )शिक्षक ही अस्थायी की श्रेणी में होंगे। उनमें भी नियमित होने की आस जगी है। कंप्यूटर शिक्षक भी हैं, लेकिन वे आउटसोर्स की श्रेणी में आते हैं। वे विभाग के नहीं बल्कि कंपनी के कर्मचारी है, ऐसी स्थिति में सरकार इन पर कोई फैसला लेती है तो सभी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए फैसला लेना होगा। इनकी संख्या 50 हजार के लगभग है।

फैसले के अवलोकन के बाद शुरू होगी प्रक्रिया: शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मामले को गंभीरता से लिया। इसलिए यह फैसला शिक्षकों के पक्ष में आया है। राज्य सरकार सुप्रीमकोर्ट के आदेशों को देखने के बाद ही इसे लागू करने पर काम शुरू करेगी। इसमें पीटीए, पैट, पैरा शिक्षक लगाए थे। अलग अलग सरकारों ने इनकी नियुक्ति की थी, 10 से 15 साल से स्कूलों में सेवाएं दे रहे थे। भविष्य में भी इसी तरह से काम करें। यदि फैसला कुछ ओर होता तो नए युवाओं को तो नौकरी मिलती, लेकिन इनका भविष्य खतरे में पड़ जाता।

किसकी नियुक्ति कैसे हुई

2003 में सबसे पहले पैरा शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इसके लिए कमेटी ने पंचायत प्रधान से लेकर अन्य सदस्य और स्कूलों के शिक्षक शामिल थे।

2004 में पैरा शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इनकी नियुक्ति के लिए बनी कमेटी एसडीएम की अध्यक्षता में बनी। इस कमेटी में स्कूल के ¨प्रसिपल के अलावा स्कूलों के विषय विशेषज्ञ को शामिल किया गया था।

2006 में तत्कालीन सरकार ने पीटीए शिक्षकों की पॉलिसी लाई। इस पालिसी में शिक्षकों की तैनाती के लिए कमेटी ग्राम पंचायत के प्रधान की अध्यक्षता में बनाई।

2006 में पीटीए शिक्षकों की नियुक्तियां

2007 में सरकार बदलने के बाद जांच बिठाई गई। इसमें 951 पीटीए शिक्षकों को सानन कमेटी ने जांच के बाद बाहर निकाल दिया।

2012 में सरकार बदलने के बाद फिर से इन्हें वापस नौकरी में लिया। इन्हें नियमित करने की पॉलिसी बनाई।

09 दिसंबर, 2014 में इस पॉलिसी को प्रदेश हाईकोर्ट ने सही ठहराते हुए पीटीए शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया।

07 जनवरी, 2015 में सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की गई।

13 फरवरी 2017 को सभी औपचारिकताएं पूरी कर सुप्रीमकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई का फैसला लिया

19 मार्च 2018 को याचिकाकर्ता पंकज कुमार ने अपनी याचिका वापस ली

30 जनवरी 2020 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा

17 अप्रैल 2020 को सुप्रीमकोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया

कांग्रेस ने की फैसले की सराहना, शिक्षकों को दी बधाई

हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने पीटीए, पैरा और पैट शिक्षकों को लेकर आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को लंबी जंग के बाद शुक्रवार को न्याय मिला है। उन्होंने शिक्षकों को बधाई दी है। प्रदेश पीटीए अनुबंध संघ के अध्यक्ष हरीश ठाकुर, अमित मुखिया ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले के स्वागत किया है। पंद्रह सालों से पीटीए शिक्षक संघ लगातार जंग लड़ रहा था। शिक्षकों का पक्ष मजबूती से न्यायालय में रखने के लिए राज्य सरकार का भी आभार व्यक्त किया।

पीटीए की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर: मेहता

पीटीए शिक्षक संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे विवेक मेहता ने कहा कि राज्य सरकार और प्रदेश का हाईकोर्ट पहले ही पीटीए शिक्षकों की नियुक्ति पर मुहर लगा चुका था। इसे कुछ लोगों ने रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उनकी याचिकाएं खारिज कर पीटीए शिक्षकों की नियुक्ति पर मुहर लगा दी है।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सराहनीय : संघ

पैट शिक्षक संघ के पदाधिकारी सुनील चौहान ने कहा कि शिक्षक लंबे समय से स्कूलों में सेवाएं दे रहे थे। राज्य सरकार की ओर से इन्हें हर तरह से मान्यता और काम दे रखा था। लेकिन कुछ लोगों ने सुप्रीमकोर्ट में इसे चुनौती दे रखी थी।


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