सरकार की बंदिशों के बाद हिमाचल के पर्यटन स्थल हुए सूने, वीकेंड पर पांच फीसद तक रही आक्यूपेंसी
Himachal Tourism हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों की रानी शिमला में इस वीकेंड होटल खाली रहे। कोरोना के खतरे के बीच शहर से पर्यटकों की रौनक गायब सी हो गई है। सरकार की बंदिशों के बीच होटलों में महज 5 से 10 फीसद ऑक्यूपेंसी रह गई है।
शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Tourism, हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों की रानी शिमला में इस वीकेंड होटल खाली रहे। कोरोना के खतरे के बीच शहर से पर्यटकों की रौनक गायब सी हो गई है। सरकार की बंदिशों के बीच होटलों में महज 5 से 10 फीसद ऑक्यूपेंसी रह गई है। रविवार को रिज व मालरोड पर पर्यटकों की काफी कम आवाजाही रही। कारोबारी सरकार की ओर से लगाई गई बंदिशों से नाखुश नजर आ रहे हैं। आरटीपीसीआर रिपोर्ट या वैक्सीन की दोनों डोज लगाकर आने की शर्त पर्यटन कारोबार पर भारी पड़ रही है।
होटलियर एसोसिएशन के सलाहकार हरनाम कुकरेजा का कहना है कि होटल कारोबार पिछले डेढ़ साल से मंदी की मार झेल रहा है। पहली लहर के दौरान होटल बंद कर दिए गए तो स्टाफ की सैलरी सहित अन्य खर्चे निकालना मुश्किल हो गया था। बीच में सरकार ने रियायतें दी लेकिन संक्रमण के खतरे के बीच पर्यटको की आवाजाही कम रही। अब जब दूसरी लहर के बीच वैक्सीन भी आ गई है और सभी जरूरी दिशानिर्देशों के बीच होटल कारोबार चल रहा था तो सरकार की नई बंदिशों ने पहले की तरह हालात बना दिए हैं। होटलों में ऑक्यूपेंसी न के बराबर है।
पर्यटकों की आवक कम होने से न सिर्फ होटलियर बल्कि टैक्सी वाले, फोटोग्राफर्स, कुली, बूट पॉलिश करने वाले सहित अन्य कई छोटे दुकानदारों पर असर दिखाई दे रहा है। ऑनलाइन बुकिंग पूरी तरह बंद हो गई है, बंदिशों के डर से पर्यटक शिमला आने से परहेज कर रहे हैं। उनका कहना है कि संक्रमण के बीच होटल कारोबारियों ने ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सैनिटाइजेशन सहित अन्य व्यवस्थाएं नियमों के अनुसार चलाईं , इसके बावजूद सरकार अधिक सख्ती कर रही है। इससे होटल कारोबार खत्म होने की कगार पर है।
70 से 80 फीसद रहती थी ऑक्यूपेंसी
मैदानी ईलाकों में पड़ रही भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए पर्यटक 12 महीने शिमला का रुख करते हैं। बरसात के दिनों में शिमला की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है, लोग ऑनलाइन बुकिंग कर शिमला सहित अन्य रमणीय स्थानों में घूमने के लिए परिवार व दोस्तों सहित पहुंचते हैं। हालांकि बरसात के मौसम में पहाड़ों पर जगह-जगह भूस्खलन के डर से ऑक्यूपेंसी 100 न सही। लेकिन 70 से 80 फीसद रहती थी। अब सरकार की कोरोना के प्रति सख्ती के बाद यह ऑक्यूपेंसी सीधा 5 से 10 फीसद पहुंच गई है।