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गूंजनी थी शहनाई, सुनाई दे रहीं मातम की चीखें

himachal groom Died in road accident आज से पांच दिन बाद जिस घर में शादी की शहनाई गूंजने की तैयारियां हो रहीं थी वहां अब मातम की चीखें सुनाई दे रही हैं।

By Edited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 10:45 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 10:45 AM (IST)
गूंजनी थी शहनाई, सुनाई दे रहीं मातम की चीखें
गूंजनी थी शहनाई, सुनाई दे रहीं मातम की चीखें

इंदौरा, रमन कुमार। बस छह दिन बाद घर में शादी की शहनाई गूंजनी थी। परिजन, रिश्तेदार और गांववाले सब खुश थे। खुशी के इस अवसर की तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही थी। अधिकतर काम निपटा लिए गए थे, जबकि कुछ अंतिम चरण में थे। पहली मई को धाम रखी गई थी। ..पर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। अचानक ऐसा हुआ कि जिस घर में शादी की तैयारियां चल रही थी, वहां मातम की चीखें सुनाई देने लगी। शायद यह किसी को भी पता नहीं था कि अपनी शादी का सामान खरीदने के लिए दोस्त के साथ निकले अंकित शर्मा का यह आखिरी सफर होगा।

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वह पठानकोट तो चार पहिया गाड़ी में गया, लेकिन घर आया तो चार कंधों पर। छह मई को अंकित की शादी होनी थी। इसके लिए घर पर तैयारियां जारी थी। परिजनों ने रीति-रिवाज के तहत शादी समारोह से पूर्व बुधवार (पहली मई) को देवता के लिए विशेष पूजा और धाम का आयोजन रखा था। अंकित की बहन भी भाई की शादी के लिए बुधवार को कनाडा से आ रही थी। लेकिन सड़क पर हुई छोटी ने गलती ने पूरी खुशियों पर जैसे ग्रहण लगा दिया। बताया जा रहा है कि कुछ साल पहले अंकित की शादी हुई थी, लेकिन किसी वजह से उसका तलाक हो गया था। इन सभी बातों को भूलकर वह फिर से अपने जीवन की गाड़ी आगे बढ़ाना चाहता था और ¨जदगी जीना चाहता था। लेकिन शायद भाग्य ऐसा नहीं था।

अंकित निजी काम करता था। वह मॉडल था और मॉड¨लग भी किया करता था। कार हादसे में काल का ग्रास बना उसका दोस्त विनय शर्मा इंदौरा क्षेत्र का प्रसिद्ध वॉलीबाल व क्रिकेट खिलाड़ी था। भाग्य की विडंबना है कि विदेश से भाई की शादी की खुशियां बांटने आ रही बहन को भी नहीं पता है कि जिसके लिए वह आ रही है वह अब इस दुनिया में ही नहीं है। भाई की बरात में नाचने का सपना लेकर आ रही बहन को अब भाई की अर्थी देखनी पड़ेगी। उधर, जैसे ही इंदौरा के मलोट भोजपुर गांव में परिजनों को अंकित की हादसे में मौत की सूचना मिली उन पर तो जैसे पहाड़ ही टूट गया। सोमवार रात को यह हादसा हुआ और बुधवार को घर में धाम की तैयारी थी। छह मई को घर में शहनाइयां गूंजनी थी, लेकिन अब वहां मातम की चीखें सुनाई दे रही हैं। गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम हैं और किसी के घर में चूल्हे तक नहीं जल रहे हैं।


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