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आपातकाल के 45 साल: जेल में एकमात्र आंदोलनकारी महिला थीं श्‍यामा शर्मा, होता था बहुत बुरा व्यवहार

45 Years of Emergency आपातकाल के दौरान जेल में एक वर्ष बिताया। आपातकाल में सही यातनाओं और जेल में रहने के बाद जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 08:57 AM (IST)
आपातकाल के 45 साल: जेल में एकमात्र आंदोलनकारी महिला थीं श्‍यामा शर्मा, होता था बहुत बुरा व्यवहार
आपातकाल के 45 साल: जेल में एकमात्र आंदोलनकारी महिला थीं श्‍यामा शर्मा, होता था बहुत बुरा व्यवहार

नाहन, जेएनएन। आपातकाल के दौरान जेल में एक वर्ष बिताया। आपातकाल में सही यातनाओं और जेल में रहने के बाद जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया। अभी तो मीलों चलना है, इससे पहले कि चिरनिद्रा में सो जाऊं। पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने 1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पांवटा साहिब के समीप बनाए जा रहे खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था। इस प्रोजेक्ट में मजदूरों का शोषण होता था। देश के विभिन्न राज्यों से 200 से 300 रुपये देकर लाए गए मजदूरों से छह महीने तक बिना वेतन दिए काम करवाया जाता था।

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मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था। प्रदेश सरकार ने आंदोलन कुचलने का प्रयास किया। मेरे नेतृत्व में मजदूरों ने आंदोलन किया। मुझे पकडऩे के लिए पुलिस ने कई बार जाल बिछाया मगर मैं उनके हाथ नहीं आई। पुलिस ने हर तीसरे दिन घर पर दबिश देनी शुरू कर दी। इससे आहत होकर पिता का निधन हो गया।  उनके निधन पर जब मैं घर पहुंची तो पुलिस ने गिरफ्तार कर कई दिनों तक पुलिस थाना के लॉकअप में बंद रखा। इसके बाद मुझ पर डीआइआर और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) लगाकर नाहन जेल भेज दिया। जेल में सभी कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था। कई तरह की यातनाएं दी जाती थीं।

आंदोलन के लिए मिला सहयोग का निर्देश

मैं 30 जून 1975 को जेल गई थी। मैं एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी। मुझे आजीवन कारावास काट रही महिला कैदी सिबिया के साथ उसके लॉकअप में रखा गया। कई बार समय पर भोजन नहीं मिलता था। जेल में शांता कुमार, जगत सिंह नेगी, महेंद्र नाथ सोफत व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में कई महीने रही। वे जेल में रहकर भी आंदोलन चलाए रखने के लिए सहयोग देने को लेकर निर्देश देते थे। इस दौरान कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार व उनकी स्थिति को अच्छी तरह समझा।

छह माह पैदल यात्रा कर जागरूक किए लोग

आपातकाल के दौरान करीब एक वर्ष तक केंद्रीय कारागार नाहन में रहने के बाद जब बाहर निकली तो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक छह माह पैदल यात्रा की। लोगों की समस्याएं सुनी और उन्हेंं जागरूक किया।


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