हरड़ ने घोली जिंदगी में मिठास
हरड़ का बगीचा तैयार कर गरीब किसान ने अपने दो बेटों की शिक्षा को पूर्ण किया हैं।
रणवीर ठाकुर, हमीरपुर
हरड़ का बगीचा तैयार कर गरीब किसान ने अपने दो बेटों को न केवल उच्च शिक्षा दिलाई, बल्कि वह दूसरों के लिए मिसाल भी बने हैं। करतार सिंह हमीरपुर स्थित शोध संस्थान नेरी के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए और उन्होंने 30 कनाल भूमि पर हरड़ का बगीचा तैयार करने की हामी भरी। करतार के लिए दो बेटों की पढ़ाई करवाने के लिए आय का कोई साधन नहीं था। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह बेटों को उच्च शिक्षा दिला पाते। ऐसे में उन्होंने हरड़ उत्पादन कर बेटे विरेंद्र सिंह को बीटेक की पढ़ाई करवाई। दूसरा बेटा दिलबाग सिंह लैब तकनीशियन की पढ़ाई कर रहा है।
करतार व उनकी पत्नी सुषमा निवासी कटोइ ने 2007-2008 में जमीन में हरड़ के 120 पौधे लगाए, जिनमें से 80 में दो साल बाद फल आना शुरू हो गए। करतार एक वर्ष में साठ हजार रुपये की हरड़ घर बैठे बेच रहे हैं। कुछ समय बाद उनकी कमाई लाखों रुपये में हो जाएगी। कृषि विभाग जाछ व शोध संस्थान नेरी के वैज्ञानिकों के सहयोग से उन्होंने हरड़ का बगीचा तैयार कर आज अपने परिवार का जीवन खुशहाल बनाया है। करतार के बगीचे में हरड़ के 80 पेड़ों पर 100-100 ग्राम तक के फल लग रहे हैं। उन्नत किस्म ही हरड़ की मांग बाजार में काफी बढ़ रही है। पीर सलूही, बगांणा और परागपुर के व्यापारी बगीचे से ही हरड़ खरीद कर ले जा रहे हैं। किसान करतार सिंह का कहना है कि ऊपरी हिमाचल में सेब के बगीचे तैयार कर बागवान अपनी आर्थिकी मजबूत कर रह हैं। ऐसे में वह क्यों न गेहूं व मक्की की पैदावार से हटकर हरड़ की पैदावार करें। उन्होंने वैज्ञानिकों से सलाह ली तो हरड़ यह दूसरे फल के बगीचे लगाने के लिए प्रेरित किया। पहले आम का बगीचा तैयार किया, उसके बाद आंवले का बगीचा तैयार किया। अब हरड़ का बगीचा तैयार किया, जिससे काफी आमदनी हो रही है। उन्होंने सेब का बगीचा भी तैयार किया है। उनके दो बेटों की शिक्षा भी इसी माध्यम से पूरी हुई है। हरड़ की खेती बेहतर विकल्प : डॉ. कमल शर्मा
कृषि एवं वानिकी शोध संस्थान नेरी के वैज्ञानिक डॉ. कमल शर्मा का कहना है कि प्रदेश में किसानों के लिए हरड़ की खेती करना काफी लाभदायक हैं। बंदरों व बेसहारा पशुओं ने किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। ऐसे में हरड़ की खेती बेहतर विकल्प है। शोध संस्थान में हरड़ के उन्नत किस्म के प्यूंदी पौधे तैयार किए हैं।