बेसहारा पशुओं का आतंक, लोग छोड़ रहे खेतीबाड़ी
- लगतार हो रहे लावारिस पशुओं के नुकसान से किसानों ने छोड़ी खेतीबाड़ी।
दीनानाथ शास्त्री, जाहू
बेसहारा पशुओं का कहर इतना है कि लोगों ने खेतों को बंजर छोड़ दिया है। अब तो पालतू पशुओं को चारा भी नहीं मिल रहा है। अधिकतर लोगों ने तो गेहूं की बिजाई करना ही छोड़ दिया है। इससे गेहूं की फसल का क्षेत्र भी कम हो गया हैं। अगर समय रहते बेसहारा पशुओं का समाधान नहीं हुआ तो बाकि किसान भी खेतीबाड़ी छोड़ने के लिए मजूबर होंगे।
इस समस्या से हमीरपुर, मंडी व बिलासपुर जिला की सीमाओं के साथ लगती पंचायतें सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हमीरपुर जिले के भोरंज उपमंडल की मुंडखर, जाहू, बडैहर, धमरोल, चंबोह, कक्कड़, अमरोह, बिलासपुर जिले की कोट, हटवाड़, बम्म, मंडी जिले की सुलपुर-वही, भांबला, पौंटा, फतेहपुर व खुडला आदि पंचायतों में करीब तीन हजार कनाल भूमि पर इस बार बिजाई नहीं की है। इस क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की तादाद बहुत अधिक है। मुंडखर, तलाई गांव में सुनैहल खड्ड, भलवानी, जाहू बाजार, सीर खड्ड, चंदरूही, भोरंज, भांबला, बतैल में बेसहारा पशु घूमते रहे हैं।
किसान कांशी राम, बंशी राम, शक्ति चंद, प्यार चंद, कुमार, अनंत राम, सोमनाथ, व्यासां देवी, सागरी देवी, बिमला देवी, चमल लता, लता देवी, हंस राज, सुरेश कुमार, धर्म चंद, रमेश कुमार, कमलेश कुमार, प्रकाश चंद आदि का कहना है कि बेसहारा पशु फसलों को तबाह कर देते हैं, कई लोगों ने तो खेतों में जाना ही छोड़ दिया है। दस साल में यह समस्या विकराल हो गई है। अनाज तो दूर पालतू पशुओं के लिए घास तक नहीं मिल रही है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर फसल उत्पादन बढ़ाने की बात कर रहे हैं, लेकिन बढ़ते बेसहारा पशुओं की समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है। किसानों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि बेसहारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए बेहतर कदम उठाएं।