संवाद सहयोगी, बिझ़डी : जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) की सहायता से चलाई जा रही प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना ने विकास खंड बिझड़ी की पंचायत समैला के गांव चलेली के किसानों को नई राह दिखाई है। नकदी फसलों की खेती से सालाना आय में भी पांच गुणा वृद्धि हुई है।
गेहूं व मक्की की बिजाई करने वाले चलेली के किसानों को सिचाई सुविधा के अभाव में कई साल से बहुत कम पैदावार हो रही थी। मौसम की बेरुखी और कम पैदावार के कारण कई किसान तो खेती से ही मुंह मोड़ने पर मजबूर होने लगे थे। ऐसे में किसानों के लिए फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना बहुत बड़ी उम्मीद लेकर आई। परियोजना के तहत गांव में लगभग 46 लाख रुपये से उठाऊ सिचाई योजना का निर्माण कर लगभग 9.58 हेक्टेयर भूमि को सिचाई सुविधा के अंतर्गत लाया गया। सिचाई सुविधा के साथ ही गांव के लगभग 35 किसानों को जाईका के माध्यम से तीन लाख रुपये के पावर टिल्लर, पावर वीडर, लहसुन प्लांटर और अन्य आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए गए तथा उन्हें कृषि विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण भी दिया। उत्तम किस्म की पनीरी तैयार करने के लिए गांव में ही पॉलीहाउस लगाया गया। जाईका से अनुदान और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद गांववासियों ने पारंपरिक फसलों के साथ-साथ सब्जियां लगानी आरंभ की।
अब किसान खरीफ के मौसम में पारंपरिक फसलों के साथ खीरा, करेला, भिडी, टमाटर और अन्य सब्जियां लगा रहे हैं, जबकि रबी के मौसम में इनके खेतों में मटर, मूली, आलू, गोभी और अन्य सब्जियां लहलहा रही हैं। गांववासी राज कुमार, सरवन कुमार, निक्काराम, संजीव कुमार और अन्य किसानों ने जाइका परियोजना की मदद से सब्जी उत्पादन में एक मिसाल पेश की है।
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जाईका परियोजना के निदेशक डाक्टर विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि परियोजना के कारण चलेली गांव में खरीफ सीजन के दौरान खाद्यान्न फसलों की पैदावार बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सब्जी उत्पादन 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है। रबी सीजन में खाद्यान्न फसलों की पैदावार 26 क्विटल प्रति हैक्टेयर और सब्जी उत्पादन 160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गया है। चलेली गांव के किसानों की प्रति हेक्टेयर वार्षिक आय 74500 रुपये से बढ़कर 3 लाख 64 हजार रुपये से अधिक हो गई है।
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