आयोडीन बचाने के लिए सब्जी बनने के बाद डालें नमक
नादौन स्वास्थ्य विभाग खंड नादौन के सौजन्य से विश्व आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस पर नादौन में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, नादौन : स्वास्थ्य विभाग खंड नादौन के सौजन्य से विश्व आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस पर खंडस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों के अतिरिक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। खंड चिकित्साधिकारी डा. अशोक कौशल व खंड स्वास्थ्य शिक्षक राम प्रसाद शर्मा ने कहा कि खाना बनाते समय नमक में मिली आयोडीन को बचाने के लिए हमें खाना प्रेशर कुकर में बनाना चाहिए या फिर खाने की चीजों में नमक उन्हें पकाने के बाद डालना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे जब भी अपने क्षेत्र में जाएं तो लोगों को आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों के वारे में अवश्य वताएं तथा नमक जांच किट से हर उपभोक्ता के नमक की आयोडीन के लिए जांच करना भी सुनिश्चित करें।
आयोडीन हमारे आहार के प्रमुख पोषक तत्वों में से है तथा इसकी कमी से दिमाग और शरीर से जुड़ी कई बीमारियां होती हैं। दुनिया में प्रतिवर्ष लाखों बच्चे माताओं के गर्भावस्था के दौरान भोजन में प्रर्याप्त मात्रा में आयोडीन न लेने के कारण सीखने की कमजोर क्षमता के साथ पैदा होते हैं। आयोडीन की कमी के कारण बच्चों का बौद्धिक स्तर 10 से 15 फीसद तक कम हो सकता है व अन्य विकारों में घेंघा, बांझपन, गूंगापन, बहरापन, बौनापन, भेंगापन, गर्भपात, मृत बच्चा पैदा होना शामिल है।
सामान्य मानव विकास के लिए दैनिक औसत 100 से 150 माइक्रोग्राम आयोडीन प्रति व्यक्ति आवश्यक होती है। एक व्यक्ति को उसके पूर्ण जीवनकाल में लगभग एक चम्मच आयोडीन की आवश्यकता होती है। यह प्रतिदिन हमारे भोजन में होनी चाहिए इसलिए भारत में आयोडीन नमक में मिलाई जाती है तथा भारत सरकार ने बिना आयोडीन नमक बेचने पर प्रत्यक्ष मानव उपभोग के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।