कागजों तक सिमटी प्रस्तावित रोप-वे योजना
-अब जयराम सरकार में भी कागजों तक सिमटी दियोटसिद्ध-शाहतलाई प्रस्तावित रोप-वे योजना -घोषणा के बावजूद शुरू नहीं हुआ रोपवे का कार्य संजय गोस्वामी बड़सर कई सरकारें आई और चली गई लेकिन दियोटसिद्ध की वषरे पुरानी रोपवे योजना अधिकारियों के तबादलों व सरकार की वायदा ?ािलाफी के आगे दम तोड़ गई। धूमल वीरभद्र सरकार के उपरांत अब जयराम सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के तुरंत बाद विर्श्ववि?यात धार्मिक स्थल दियोटसिद्ध में प्रस्तावित रोपवे योजना को
संवाद सहयोगी, बड़सर : दियोटसिद्ध की वर्षो पुरानी रोपवे योजना अभी तक कागजों में ही सिमटी है। धूमल, वीरभद्र सरकार के उपरांत अब जयराम सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के तुरंत बाद विश्वविख्यात धार्मिक स्थल दियोटसिद्ध में प्रस्तावित रोपवे योजना को पूरा करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है। दियोटसिद्ध से शाहतलाई के बीच प्रस्तावित रोपवे बनाने की योजना अब पर्यटन विभाग की लेटलतीफी के कारण अभी तक अधर में है।
डेढ़ दशक से प्रस्तावित इस योजना के लिए पहले सरकार की ओर से कड़ी शर्ते होने के कारण निवेशक हाथ नहीं डाल रहे थे। प्रदेश में जयराम सरकार बनने के बाद प्रदेश की चार रोपवे योजनाओं के नियमों में ढील देने का फैसला लिया गया। सरकार के इस फैसले के बाद पर्यटन विभाग ने दियोटसिद्ध-शाहतलाई रोपवे योजना को सिरे चढ़ाने के लिए प्रशासन से जमीनी दस्तावेजों की मांग की। प्रशासन ने विभाग की मांग के अनुसार सभी जमीनी दस्तावेज पर्यटन विभाग को भेजे हैं, लेकिन एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी योजना का काम शुरू नहीं हो सका।
धार्मिक स्थल है और श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ रही है, ऐसे में यह परियोजना बड़ी कारगर साबित होती। लेकिन योजना अधर में है। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही सरकारें इसे शुरू नहीं करवा सकी हैं।
वहीं, मंदिर न्यास अध्यक्ष एवं एसडीएम बड़सर प्रदीप कुमार का कहना है कि दियोटसिद्ध-शाहतलाई रोपवे की प्रस्तावित योजना को लेकर पर्यटन विभाग ने जमीन से संबंधित दस्तावेज मांगे थे, जिन्हें पर्यटन विभाग को भेज दिया गया है। विभाग ने इससे आगे की कार्रवाई के लिए अभी तक न्यास प्रशासन को जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है।